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क्राइम ब्रांच का गठन : दागदार पुलिस स्टाफ को दूर रखें। मेधावी एवं सफल पुलिस इन्वेस्टिगेटर को शामिल करें। सीबीआई की तरह एफ आई आर दर्ज करने एवं कोर्ट ट्रायल का अधिकार हो: तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ]

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बिलासपुर ( 5 मार्च 2022) [ तपन गोस्वामी द्वारा] मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर राज्य के तीन कमिश्नरी रायपुर, बिलासपुर एवं दुर्ग में एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट का गठन किया जाएगा। इस यूनिट के गठन के पीछे यह उद्देश्य है कि गंभीर अपराधों का इन्वेस्टिगेशन पेशेवर इन्वेस्टिगेटर की तरह करने के साथ ही बढ़ते अपराधों पर नियंत्रण करना भी है। कुल मिलाकर यह यूनिट क्राइम ब्रांच की तरह ही काम करेगी। परंतु पूर्व में गठित क्राइम ब्रांच का परफॉर्मेंस ठीक नहीं था। तत्कालीन बिलासपुर क्राइम ब्रांच के कई सीनियर स्टाफ को इसलिए जेल की हवा खानी पड़ी थी क्योंकि रायपुर के एक वाहन मालिक की पत्नी ने इनके खिलाफ गलत इन्वेस्टिगेशन करने का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज करवाई थी। वैसे ही बिलासपुर क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी श्री राय को प्रमाण सहित यह जानकारी दी गई थी कि नेहरू नगर में एक फर्जी मेडिकल कॉलेज का संचालन हो रहा है। परंतु श्री राय उस फर्जी मेडिकल कॉलेज के संचालकों से पैसे लेकर उन्हें भगा दिया था। यह बिलासपुर के पूर्व क्राइम ब्रांच का अनुभव रहा। इस कारण नए सिरे से शुरू हो रहे क्राइम ब्रांच से इन दागदार पुलिस कर्मियों को अलग रखा जाना चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि नवगठित क्राइम ब्रांच को सीबीआई की तरह एफ आई आर दर्ज करने एवं साथ ही कोर्ट में ट्रायल करने का वैधानिक मान्यता प्राप्त हो। नहीं तो पूर्व की तरह क्राइम ब्रांच एवं थाने के मध्य फंसकर मामला टाय टाय फिश हो जाएगा। क्योंकि पूर्व में भी कोर्ट में कई बार अधिवक्ताओं ने क्राइम ब्रांच के वैधानिकता पर सवाल उठा चुके हैं। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )

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