सिविल लाइन टी आई जेपी गुप्ता का परफेक्ट एक्शन। ट्रेनी आईपीएस विकास कुमार के व्यवहार की समीक्षा हो। बिना जांच एफ आई आर मतलब खतरनाक फंडा: तपन गोस्वामी [एडिटर इन चीफ]
बिलासपुर (5 अप्रैल 2022) [तपन गोस्वामी द्वारा] आईपीएस अधिकारी जब ट्रेनिंग कर वापस लौटते हैं तब उन्हें पुलिस की वास्तविक कार्यप्रणाली सीखने के लिए विभिन्न जगहों पर पदस्थ किया जाता है। उसमें से एक थाना भी है जहां उन्हें थाना प्रभारी के पद पर पदस्थ होना पड़ता है या हम दूसरे शब्दों में इसे इंटर्नशिप भी कह सकते हैं। थानों में पदस्थि करण के दौरान प्रशिक्षु आईपीएस सिर्फ पुलिस की कार्ड प्रणाली ही सीखेंगे जिसमें कागजी कार्रवाई, फील्ड इन्वेस्टिगेशन, हॉस्पिटल में एमएलसी, विसरा प्रिजर्वेशन, पोस्टमार्टम एवं अन्य अपराधिक कार्यप्रणाली से जुड़े कार्य का प्रशिक्षण लेंगे और यह सारी व्यवस्था उनके थाना प्रभारी के प्रभाव क्षेत्र में ही रहेगा। प्रशिक्षु आईपीएस को प्रशिक्षण के दौरान थाने में किसी भी तरह की कार्यवाही करने का अधिकार नहीं रहेगा। और न ही प्रशिक्षु आईपीएस थाना प्रभारी के किसी भी काम में हस्तक्षेप करेगा। परंतु पिछले दिनों थाना सिविल लाइन में एक अपहरण एवं गुंडागर्दी के खिलाफ प्रशिक्षु आईपीएस विकास कुमार का रुख पूरी तरह पुलिस मैनुअल के खिलाफ था। टी आई जेपी गुप्ता की अनुपस्थिति में बिना जांच के एक आई आर दर्ज करने के लिए ट्रेनी आईपीएस ने टीआई पर दबाव बनाया। ट्रेनी आईपीएस को शायद यह पता नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट रूप से कहां कि बिना जांच एफ आई आर से कई निर्दोष व्यक्ति भी गिरफ्तारी की परिधि में आ सकते हैं इस कारण एफ आई आर के पहले भली भांति जांच जरूरी है। सिविल लाइन थाने में अमित सिंह का पीछा करने के आरोप में धार दार हथियारों से लैस युवक दिलीप मिश्रा एवं बोडकू ठाकुर के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया। आईपीएस विकास कुमार अभी नए नए है। गुंडे बदमाशों की स्टोरी एवं उनका पॉलिटिकल कनेक्शन पता नहीं है। परंतु टीआई को यह सब बातें पता रहता है। सिविल लाइन थाना एक व्यस्ततम थाना है जहां पर आम आदमियों का आना जाना लगा रहता है और ऐसे में एक टी आई और प्रशिक्षु आईपीएस का वाद विवाद होना आम जनता अच्छे नजरों से नहीं देखेगी। वैसे प्रशिक्षु आईपीएस के व्यवहार की भी समीक्षा होना जरूरी है। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)