सीएमएचओ डॉ प्रमोद महाजन एक्स रे एवं सिटी स्कैन स्टाफ को नहीं उपलब्ध करवा रहे हैं रेडिएशन बैच। कर रहे हैं उनके जान के साथ खिलवाड़ : तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]
बिलासपुर ( 31 मई 2022 ) [ तपन गोस्वामी द्वारा ] एक्स-रे विभाग के डॉक्टर एवं तकनीशियन अपने ड्रेस के बाई ओर एक चमकता हुआ बैच लगाते हैं । वैज्ञानिक भाषा में इस बैच को रेडिएशन बैच कहते हैं परंतु वास्तव में एक्स-रे एवं सिटी स्कैन में काम करने वालों के लिए यह जीवन मापक उपकरण है। इस बैच के लगाए बिना कोई भी डॉक्टर एवं टेक्नीशियन एक्स-रे रूम में जाकर एक्स रे नहीं ले सकते। प्रत्येक तीन माह पश्चात इस रेडिएशन बैच को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में भेज कर यह जांचा जाता है कि इसे धारण करने वाले एक्स-रे विभाग के डॉक्टर या टेक्नीशियन कितना रेडिएशन खाया है ? परंतु बिलासपुर स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ सीएमएचओ डॉ प्रमोद महाजन इस रेडिएशन बैच की आवश्यकता नहीं समझते। सिम्स, जिला चिकित्सालय एवं निजी तौर पर संचालित हो रहे एक्स-रे एवं सिटी स्कैन सेंटर के डॉक्टर एवं टेक्नीशियन शुरू से ही बिना रेडिएशन बैच के धड़ल्ले से एक्स-रे या सिटी स्कैन रूम में प्रवेश करते हैं। वास्तव में यह रेडिएशन बैच भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से आता है और हर 3 महीने बाद पुनः वापस वही चला जाता है और इस बात की जांच होती है इस रेडिएशन बैच धारक डॉक्टर या टेक्नीशियन कितना रेडिएशन खाया? एक्स-रे एक प्रकार का विद्युत चुंबकीय रे है जिसमें तरंग की शक्ति 10 से 0.01 नैनो पावर होती है। जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है। रेडिएशन बैच के बिना रेडियो डायग्नोस्टिक विभाग के डॉक्टर एवं टेक्नीशियन रेडिएशन के खतरे में रहते हैं। एक्स-रे एवं सिटी टेक्नीशियन को रेडिएशन बैच लगाने का यह फायदा होता है कि यदि उनके शरीर में रेडिएशन की मात्रा बढ़ जाती है तो रेडिएशन बैच में एक सिग्नल आता है और उस समय टेक्नीशियन को अलर्ट हो जाना चाहिए और तुरंत रेडिएशन से अलग हो जाना चाहिए। परंतु सीएमएचओ डॉ प्रमोद महाजन के कृपा से एक्स-रे एवं सिटी स्कैन टेक्नीशियन को रेडिएशन बैच नहीं मिल पाई इस कारण उनके शरीर में अधिक या कम रेडिएशन से कोई मतलब नहीं। मतलब सिर्फ इतना है कि टेक्नीशियन जो कि रेडिएशन के खतरनाक काम में शामिल है और अपनी जिंदगी को दाव में लगाकर जनता की सेवा कर रहे हैं। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )