खाद्य विभाग एवं प्रशासन गंभीरता से जांच करें। सिर्फ पुलिस कल्याण पेट्रोल पंप, नगर निगम पेट्रोल पंप एवं अंतू लाल पेट्रोल पंप का ही सही एवं वैध संचालन। मृत मालिकों के नाम से चल रहे हैं पेट्रोल पंप : तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]
बिलासपुर ( 15 जून 2022 ) [ तपन गोस्वामी द्वारा ] शहर में संचालित पुलिस कल्याण पेट्रोल पंप वैध दस्तावेजों के साथ पेट्रोल डीजल का उच्च प्रमाणिकता के साथ सबसे लोकप्रिय पेट्रोल पंप है। नियमित ग्राहक चाहे कितनी भी भीड़ हो पुलिस कल्याण पेट्रोल पंप से ही डीजल पेट्रोल लेना उनकी पहली प्राथमिकता होती है। दूसरे नंबर पर नगर निगम पेट्रोल पंप है परंतु कभी-कभी पेट्रोल की कमी ग्राहकों को परेशान करती है। और तीसरे नंबर पर है अंतू लाल पेट्रोल पंप। पुलिस कल्याण पेट्रोल पंप एवं नगर निगम पेट्रोल पंप का नियंत्रण सरकारी स्तर पर होने के बावजूद इनके दस्तावेज इंश्योरेंस पेपर एकदम सही है। शहर में संचालित अंतू लाल पेट्रोल पंप जनता के प्रति अपनी पुरानी लोकप्रियता कायम रखे हुए हैं। इनके दस्तावेज एवं इंश्योरेंस पेपर एकदम सही है। परंतु शहर के बाकी पेट्रोल पंप का संचालन अपूर्ण एवं त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के सहारे चल रहा है। शहर में ऐसे कई पेट्रोल पंप है जिनके वास्तविक प्रोपराइटर की मृत्यु हो चुकी है परंतु यह बात पेट्रोलियम कंपनी से छुपाकर उनके रिश्तेदार द्वारा अवैधानिक रूप से चलाया जा रहा है। डीजल एवं पेट्रोल पंप में फायर इंश्योरेंस कराना जरूरी होता है परंतु शहर के कई पेट्रोल पंप के वास्तविक प्रोपराइटर की मृत्यु के बाद भी मृतक की पॉलिसी सरेंडर किए बिना ही पेट्रोल पंप ऑपरेट हो रहा है। कुछ दिन पहले शहर के एक पेट्रोल पंप में एक घटना हो गई थी जिससे पेट्रोल पंप द्वारा बीमा कंपनी में क्लेम किया गया था परंतु बीमा कंपनी का इन्वेस्टिगेटर आकर जांच किया और पाया की पॉलिसी पेपर में दर्ज बीमा धारक की मृत्यु हो चुकी है और पेट्रोल पंप इसकी जानकारी न तो पेट्रोलियम कंपनियों को दी और न ही बीमा कंपनी को दी जिसके नाम से यह पेट्रोल पंप चल रहा है उसकी मृत्यु 10 साल पहले हो गई है। इस आधार पर बीमा कंपनी ने क्लेम रिजेक्ट कर दीया। पेट्रोलियम कंपनी का एक स्टैंडर्ड नियम है कि किसी भी पेट्रोल पंप का दस्तावेज संदेहास्पद हो, वास्तविक मालिक की मृत्यु हो चुकी हो तो उस पेट्रोल पंप का लाइसेंस निरस्त करें। परंतु बिलासपुर के खाद्य विभाग का एक अदना सा इंस्पेक्टर इसी तरह अवैधानिक रूप से चल रहे पेट्रोल पंप के बदौलत कम समय में ही कई करोड़ के मालिक बनकर सिस्टम को खोखला कर रहे हैं। खाद्य विभाग कई अधिकारी शहर के कई पेट्रोल पंप के स्लीपिंग पार्टनर भी हैं। खाद्य विभाग के अधिकारियों कि यह ड्यूटी है कि पेट्रोल पंपों की नियमित जांच कर उनसे मिलने वाली शिकायतों के विषय में पेट्रोलियम कंपनी को रिपोर्ट बनाकर भेजें। परंतु यहां तो खाद्य विभाग के अधिकारी फर्जी दस्तावेजों को पेट्रोल पंप चलाने के लिए सही बनाने में लगे हैं। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )