थानों को सूचना दिए बिना शहर के निजी अस्पताल महीनों इलाज कर रहे हैं एमएलसी केस के मरीजों का। गंभीर वारदात, संदिग्ध पॉयजनिंग केस में एफ आई आर नहीं : तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]
बिलासपुर ( 25 जून 2022 )[ तपन गोस्वामी द्वारा ] शहर में संचालित निजी अस्पताल के डॉक्टर अधिक पैसा कमाने के चक्कर गंभीर वारदात में घायल मरीज एवं संदिग्ध पॉयजनिंग केसेस के मरीजों को बिना पुलिस को सूचना दिए अपने निजी अस्पतालों में भर्ती कर महीनों रख रहे हैं। नियम के अनुसार किसी भी तरह के वारदात, रोड एक्सीडेंट, प्वाइजनिंग केसेस के मरीजों को अपने निजी अस्पताल में भर्ती करने से पहले एमएलसी अर्थात ( मेडिको लीगल केसेस ) के तहत संबंधित क्षेत्राधिकार थाने में इसकी सूचना देनी पड़ती है। सूचना पर पुलिस उस निजी अस्पताल पहुंचकर घायल मरीज का बयान लेगा और वारदात के कारण का पता लगाकर एफ आई आर दर्ज करने की कार्रवाई करेगा। परंतु निजी अस्पताल इस तरह की वैधानिक कार्यवाही नहीं करता। और यदि निजी अस्पताल में भर्ती वारदात की शिकार मरीज की मृत्यु हो जाती है तो निजी अस्पताल के डॉक्टर उस मरीज को सरकारी अस्पताल में बिना किसी दस्तावेज के भेज देता है और मरीज के परिजनों को कहता है कि यहां इलाज नहीं होगा जबकि निजी अस्पताल का डॉक्टर चालाकी के साथ ( ब्रॉड डेड ) अर्थात मृत मरीज को भेज देता है सरकारी अस्पताल में पहुंचते ही ओपीडी में बैठा डॉक्टर ब्राड डेड लिखकर बॉडी को मरचुरी में रखवा देता है। पोस्टमार्टम के बाद जो भी फाइंडिंग आती है उसकी जांच करते करते काफी दिन बीत जाते है और केस पेंडिंग में चला जाता है। परंतु इस चक्कर में वह प्राइवेट क्लीनिक का डॉक्टर साफ बच जाता है। कोई कोई निजी अस्पताल के डॉक्टर अपने यहां भर्ती गंभीर मरीज की सूचना पुलिस को जरूर देती है। परंतु तब तक का आरोपी जो वारदात को अंजाम दिया वह निजी अस्पताल के डॉक्टर से मिलकर काफी मोटी रकम देकर तगड़ी सेटिंग कर लेता है और डॉक्टर प्राणघातक हमले जिसमें भा द वि की धारा 307 कायम होनी चाहिए मरीज की केस हिस्ट्री में डॉक्टर की कलम चलती है और वह सिर्फ लिखता है आरटीए अर्थात ( रोड ट्रेफिक एक्सीडेंट ) मरीज से बयान लेने आए पुलिस स्टाफ भी केस हिस्ट्री में आरटीए देखकर अपने ओपिनियन में स्पष्ट रूप से लिख देता है की घटना अज्ञात वाहन की चपेट में आने से हुई। निजी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा किए गए इस कृत्य के कारण एक खतरनाक अपराधी बच जाता है। संदिग्ध प्वाइजनिंग केसेस में भी निजी अस्पताल के डॉक्टरों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है इस कारण निजी अस्पतालों के डॉक्टर एवं अपराधियों के मध्य गहरे संबंध रहते हैं। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )