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क्या टी एस बाबा का हाथ बीजेपी के साथ ? 2023 विधानसभा चुनाव में सरगुजा के 14 सीटों पर क्या बाबा का ब्रांड पावर काम करेगा? क्या बाबा को बीजेपी में लाने की जिम्मेदारी एमपी के मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया पर है? तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]

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बिलासपुर (11 मार्च 2023 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] सरगुजा राजघराने के टॉप पॉलीटिकल पर्सनालिटी त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव अर्थात टीएस बाबा। जो आज प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भी काफी लोकप्रिय है। 31 अक्टूबर 1951 में प्रयाग राज में जन्मे टी एस बाबा भोपाल विश्वविद्यालय के हमीदिया कॉलेज में एम ए इन हिंदी के मेरिट स्कॉलर रहे। टी एस बाबा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर आसीन होकर शुरू किया। सरल स्वभाव एवं व्यक्तित्व के धनी टी एस बाबा लगातार इस पद पर 10 वर्ष तक बने रहे। इनके राजनैतिक इतिहास का दूसरा एवं महत्वपूर्ण चरण रहा अविभाजित मध्य प्रदेश के राजनैतिक परिदृश्य में मजबूत कदम। इसके पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य एवं विधानसभा का गठन। और अजीत जोगी मंत्रिमंडल में भी महत्वपूर्ण पद। परंतु टी एस बाबा की लोकप्रियता एवम सौजन्यता का लोहा बीजेपी ने भी माना और वह समय था टी एस बाबा का विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बनने पर। भले ही टीएस बाबा उस समय विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता थे। परंतु भूपेश बघेल जो कि उस समय कांग्रेस के स्टेट चीफ थे दोनों ने मिलकर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार लाने की व्यू रचना शुरू की। दोनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गण धीरे-धीरे एवं पूर्ण गोपनीयता बरतते हुए कांग्रेस के सच्चे सिपाही की तरह काम किए। और मजबूत बीजेपी सरकार की कमियों को सुनियोजित ढंग से आम जनता के मध्य ले जाने लगे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस बाबा ने जो प्रश्नों की बौछार लगा दी इससे सत्तापक्ष बीजेपी के मंत्री भी परेशान हो गए थे। इस तरह तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस सुप्रीमो भूपेश बघेल एवं नेता प्रतिपक्ष टी एस बाबा अपने विश्वस्त कांग्रेस के साथियों के साथ मिलकर ऐसी रणनीति रची जिससे 15 साल का कांग्रेस का बनवास सन 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद खत्म हुआ। और ऐतिहासिक बहुमत लेकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई और भाजपा 15 वर्ष सत्ता रहने के बावजूद 15 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व छग में कांग्रेस के ऐतिहासिक जीत के लिए जय अर्थात भूपेश बघेल एवं वीरू अर्थात टी एस बाबा का आभार व्यक्त किया। कांग्रेस का मंत्रीमंडल बना ढाई साल तक भूपेश बघेल इसके पश्चात ढाई साल टी एस बाबा के मुख्यमंत्री बनने की बात फाइनल हुई। परंतु ढाई साल बाद कांग्रेस के केंद्रीय समिति ने ढाई साल का फॉर्मूला खारिज करते हुए भूपेश बघेल को पूरे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री पद में रहने की मोहर लगा दी। और इसके बाद जय एवं वीरू की दोस्ती में दरार पड़ने लगी। कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि टी एस बाबा के समर्थकों के साथ लगातार उपेक्षा होने लगी। सन 2023 चुनावी वर्ष है क्या कांग्रेस क्या बीजेपी दोनों राजनीतिक पार्टी अपने अपने विधायकों पर जासूसी नजर रखे हुए हैं। भाजपा के केंद्रीय कमेटी भी छत्तीसगढ़ की राजनीति पर विशेष नजर बनाए हुए हैं। और उनका फोकस राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस बाबा पर है। जिनके सौम्य व्यवहार के सभी कायल है। टी एस बाबा 2018 के विधानसभा चुनाव में अंबिकापुर विधानसभा के प्रतिष्ठित सीट 1,00,439 के विशाल मतों से जीते थे। उन्होंने बीजेपी के कद्दावर नेता अनुराग सिंह देव को हराया था। बीजेपी प्रत्याशी को मात्र 60,815 मत मिले थे। अब बीजेपी के नजर सरगुजा यानी छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग पर है। जिसने दिया सत्ता का समीकरण। और टीएस बाबा का 14 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव है। और यदि टी एस बाबा का बीजेपी प्रवेश हो जाता है तो इसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को है मिलेगी। इस कारण बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश के सत्ताधारी बीजेपी के कद्दावर नेता एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को यह जिम्मेदारी सौंपी है। क्योंकि श्री सिसोदिया टी एस बाबा के समधी है। आने वाला समय कांग्रेस एवं बीजेपी के लिए अति महत्वपूर्ण है। देखते हैं प्रदेश की राजनीति में और क्या-क्या परिवर्तन होंगे। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेट वर्क )

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