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पूर्व तहसीलदार एन पी गवेल द्वारा बनाए गए फर्जी दस्तावेज के आधार पर। दिनांक 17 अप्रैल 2023 को मोपका के प.ह 29 खसरा न 385/5, 385/7, 386/4. 379/26 के नामांकन की तैयारी। राजस्व अमला इस फर्जीवाड़े में शामिल : तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]

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बिलासपुर (12 अप्रैल 2023 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] किसी शहर में या शहर से बाहर कोई पुरानी हवेली या संपत्ति रहती है। परंतु उसे कोई नहीं खरीदता। कारण सब कहते हैं कि यह अभिशप्त संपत्ति है। इसे खरीदने से खरीददार को रोड में भीख मांगने की नौबत आ सकती है। ठीक यही हाल बिलासपुर से लगे ग्राम मोपका की जमीनों का है। इस जमीन का जो सौदा करता है या करवाता है दोनों जेल चले जाते हैं । आज भी बिलासपुर सेंट्रल जेल में मोपका की जमीन बेचने वाले, खरीदने वाले एवम मध्यस्थता कराने वाले कई साल से जेल में सड़ रहे हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि मोपका के सरकारी जमीनों के फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज बनाकर इसे अभिशप्त करने वाले पूर्व तहसीलदार नारायण प्रसाद गव्हेल जेल जाते-जाते भी नहीं जा रहे हैं। बताते हैं कि किसी राजनैतिक हेवी वेट नेता का इन पर कृपा है। चलो अभी अपने ईमानदारी एवं राज्य सरकार के प्रति कर्तव्य परायणता दर्शाने वाले पूर्व तहसीलदार गवेल अन्यत्र चले गए हैं। परंतु बिलासपुर तहसील मे जो उन्होंने फर्जी बाड़े का बम फोड़ा है उससे निकलने वाले फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेजों के जहरीले सांप की पहचान एवम सत्यता तहसील कार्यालय के राजपत्रित अधिकारी एवं तुर्रम खा स्टाफ नहीं कर पा रहे हैं। हमारी न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन टीम के हाथ एक ऐसा दस्तावेज लगा है जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि तहसील के पूर्व भ्रष्टाचारियों की टीम किस तरह वर्तमान तहसीलदार सहित अन्य राजस्व कर्मचारियों को प्रभाव में लेकर करोड़ों रुपए के सरकारी जमीनों के फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज बनाकर उसे कुख्यात भू माफियाओं को सौंपकर उसे करोड़ों में बेचकर इसके बाद इसी कूट रचित दस्तावेज के सहारे सीमांकन कराकर किस तरह सरकार को धोखा दे रहे हैं। इसका जीता जागता प्रमाण ग्राम मोपका के प. ह. 29 खसरा 385/7 रकवा 2190 वार्गफुट के फर्जी मालिक दूरपति बाई देवांगन निवासी चिंगराज पारा। खसरा न 386/4 रकवा 2180 इसके फर्जी मालिक श्रीमती ठगिया देवांगन इस जमीन के सीमांकन के लिए त्रिवेद विश्वकर्मा ने आवेदन लगाया। इसी तरह 385/5 रकवा 2180 फर्जी मालिक माधुरी शेंडे आवेदक पुनः त्रिवेद विश्वकर्मा इसी तरह खसरा नं 379/26 रकवा 660 वर्ग फुट उक्त करोड़ों की सरकारी जमीन की फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज ऐसा तैयार किया गया है की एक्सपर्ट राजस्व अधिकारी गण इसकी जांच करने में कतरा रहे हैं। यह क्रियाकलाप बहुत पहले ही किया गया था। तहसील के एक नायब तहसीलदार द्वारा कूट रचना कर इन सरकारी जमीनों को निजी जमीनों में बदला गया है। इसके एवज में शहर का एक कुख्यात भू माफिया तहसील कार्यालय के एक नायब तहसीलदार को एक नई लग्जरी कार भेट की। एसडीएम कार्यालय एवं तहसील को यह जानकारी उनके आधिकारिक सूत्रों से आई है परंतु सभी अपने मुंह पर ताला लगाए हुए हैं। क्योंकि शहर का एक कुख्यात एवं प्रभाव शाली भू माफिया केआगे सब नतमस्तक हैं। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नगर न्यूज़ नेटवर्क)

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