भारत सरकार का लास्ट डेड लाइन: जून 2023 नो एक्सक्यूज के साथ होगा संसाधन वापस, और होगा सेंट्रल ऑडिट टीम का एक्शन। स्मार्ट आयुक्त कुणाल दुदावत बिलासपुर को स्मार्ट सिटी देने में असफल। भ्रष्ट एवं अज्ञानी इंजीनियर गोपाल ठाकुर एवं प्रिया सिंह को तुरंत हटाए: तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]
बिलासपुर (14 अप्रैल 2023 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] नगर निगम के स्मार्ट एवं हैंडसम आयुक्त कुणाल दुदावत यह क्यों नहीं समझ रहे हैं कि शहर के ट्रैफिक कंट्रोल करने वाली कंट्रोल रूम इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर जो की तार बहार थाने परिसर में बन रही है उसे ही स्मार्ट सिटी मानकर चल रहे हैं। यह तो एक छोटा सा कंट्रोल रूम है। अब आप इसे ही देखें कि इस छोटे से कंट्रोल रूम बनाने में निगम को इतने साल लग गए। अभी तो पूरा शहर पड़ा हुआ है। केंद्र सरकार की लास्ट डेड लाइन जून 2023 है। इसके बाद नो एक्सक्यूज और संसाधन वापस। बिलासपुर स्मार्ट सिटी योजना भारत सरकार की एक बहु आयामी एवं जन उपयोगी योजना है। इसके पहले स्मार्ट सिटी का प्रभार बिलासपुर नगर निगम के महा भ्रष्ट इंजीनियर पीके पंचायती के पास था। अपने घटिया पन और भ्रष्टाचार के कारण चर्चित एवं लेनदेन के मामले में गुंडों से मार खाने वाले जैन समाज के कर्ताधर्ता माने जाने वाले पीके पंचायती के काले कारनामे के विषय में जानकारी दे रहा हूं। पंचायती द्वारा सरकंडा के चटर्जी गली में एक सरकारी जमीन का फर्जी दस्तावेज बनाकर उसे फर्जी रजिस्ट्री के कागजात बनाकर अपना नगर निगम के एवं साथी ठग इंजीनियर गोपाल ठाकुर से नक्शा वगैरह बना कर फर्जी जैन धर्मशाला बनवा लिया। जनता के दबाव में पी के पंचायती को रायपुर जाना पड़ा। परंतु इंजीनियर गोपाल ठाकुर जिसके खिलाफ एसीबी में एफ आई आर, रिंग रोड नंबर दो रोड निर्माण में भारी भ्रष्टाचार एवं एफ आई आर इन सब को देखते हुए भी इसे केंद्र सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना बिलासपुर स्मार्ट सिटी का प्रभार दिया गया। आज शहर में जितने भी अवैध कालोनियां, मकान एवम दुकान है यह सभी इंजीनियर गोपाल ठाकुर एंड कंपनी की देन है जिसके कागजात न होने के कारण निगम कई करोड़ रुपए के भवन और दुकान टैक्स पाने से वंचित हो रहा है। वही हाल इंजीनियर प्रिया सिंह का है। किसी परेशानी के कारण यदि कोई नगरवासी इंजीनियर प्रिया सिंह के पास जाता है तो वह सीधे से डीलिंग की बात करती है। एक व्यक्ति से लेनदेन संबंधी बातों की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी हमारे पास मौजूद है। निगम आयुक्त कुणाल दुदावत अपने दलबल को लेकर प्रतिदिन कुछ जगहों पर पहुंचकर ठेकेदारों डांट डपट कर रहे हैं। परंतु आयुक्त साहब ठेकेदारों को जो आपके अधिकारी निर्देश देंगे वही काम किया जाएगा। क्योंकि निगम में आप के अधिकारियों से इन ठेकेदारों की अच्छी सेटिंग है। तभी तो आज तक भवन एवं रोड निर्माण के संबंध में कभी भी गुणवत्ता की जांच नहीं हुई। केंद्र ने सन 2016 को स्मार्ट सिटी की स्वीकृति दी थी। इसकी कुल लागत 3 हजार 9 सौ 66 करोड़ रुपए है। अभी तक 114 करोड़ रुपए लग चुके है। बताया जा रहा है कि स्मार्ट सिटी के ऑटोमेटिक ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम में ही अभी तक 147 करोड़ रुपए लग चुके हैं परंतु अभी भी बहुत सा काम अपूर्ण है। अब नगर निगम स्मार्ट सिटी पैसे के लिए मोहताज होंगे। और इसी स्मार्ट सिटी के पैसे से इंजीनियर पीके पंचायती रायपुर में दो आलीशान मकान एवं जमीन खरीद चुके हैं। इसी तरह इसी स्मार्ट सिटी के पैसे से ही इंजीनियर गोपाल ठाकुर बिलासपुर एवं आसपास कई करोड़ की संपत्ति बना चुके हैं। इसीलिए बिलासपुर के लिए अब स्मार्ट सिटी काफी असंभव है। सितंबर या अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लग जाएगी। तब तो फिर बजट बंद काम बंद। बिलासपुर स्मार्ट सिटी पर केंद्र सरकार की नजर है। वे एक-एक पाई का हिसाब लेंगे। और जून 2023 के बाद सेंट्रल ऑडिट टीम का भी दौरा हो सकता है और वे देखना चाहेंगे कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी कहां है ? (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)