मोपका के सरकारी जमीन का फर्जी रजिस्ट्री कर बैंक ऑफ इंडिया व्यापार विहार में उसे बंधक बनाकर लिए 64 लाख 60 हजार रुपए का लोन। मामला खसरा नं 993/2 / k a 3, 993/2 ka 4 ऋण वसूली के लिए बैंक मोपका की जमीन एवं ऋणी विश्वास दिक्षित, श्वेता दिक्षित, वर्षा मिश्रा एवं राजेश मिश्रा कि कर रही है तलाश। पटवारी अशोक जयसवाल का फर्जीवाड़ा : तपन गोस्वामी [ editor in chief]
बिलासपुर (16 अप्रैल 2023 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] मोपका की सरकारी जमीनों का फर्जी रजिस्ट्री पत्रक बनाकर उसे निजी व्यक्ति को बेच कर उस पर ऋण लेने की बेहद ही चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। अभी तो सरकारी जमीनों के फर्जी रजिस्ट्री के मामले बैंक ऑफ इंडिया व्यापार विहार शाखा में आए हैं। बैंक ने जमीन की रजिस्ट्री पत्र देखकर ऋण कर्ता को 64 लाख 60 हजार का ऋण जारी कर दिया। तो काफी समय तक ऋणी द्वारा किस्त न पटाने एवं मोबाइल बंद कर देने से परेशान बैंक प्रबंधक अपने इन्वेस्टिगेटर को मोपका की बंधक सुदा जमीन के खोजबीन के लिए भेजा। काफी समय तक बैंक ऑफ इंडिया के इन्वेस्टिगेटर बंधक सुदा जमीन को खोजते रहे तो उन्हें पता चला कि उस खसरे की कोई जमीन ही नहीं है। मोप्का में सरकारी जमीनों को घेर कर उनका फर्जी रजिस्ट्री कराना आम बात है। इसमें राजस्व अधिकारी भी मिले हुए हैं। मोपका स्थित राहुल ढाबा में जाकर बैंक ऑफ इंडिया व्यापार विहार के इन्वेस्टिगेटर में उक्त जमीन के खसरा नंबर के विषय में जानकारी मांगी। तो राहुल ढाबे वाले ने बताया कि सर यहां आपको जमीन नहीं मिल सकती। सारी सरकारी जमीन है उसका फर्जी रजिस्ट्री हुआ है और उस पर बैंक लोन दे दिया है। और आप जिस जमीन को खोज रहे हो उस जमीन के फर्जीवाड़े में तत्कालीन पटवारी अशोक जयसवाल ने एक चर्चित भू माफिया से मिलकर यह घपले वाजी की है। बैंक ऑफ इंडिया व्यापार विहार शाखा में प. ह. न. 29 खसरा न 993/2 /ka/3 एवम 993/2/ka/4 के रजिस्ट्री पत्रक के आधार पर विश्वास दीक्षित, श्रीमती श्वेता दीक्षित, श्रीमती वर्षा मिश्रा एवं राजेश कुमार मिश्रा के जमीन का बंधक बनाकर मकान बनाने के लिए काफी लोन दे दिया। पटवारी अशोक जयसवाल द्वारा उक्त भूमि का सत्यापन भी किया गया था। परंतु कुछ माह तक किस्त पटाने के बाद उक्त ऋणी किस्त चुकाना बंद कर दिए। और अपना मोबाइल भी बंद कर दिए। बाध्य होकर बैंक ऑफ इंडिया को अपना इन्वेस्टिगेटर भेजना पड़ा तब यह सच्चाई सामने आई। मोपका कि सरकारी जमीनों पर फर्जी रजिस्ट्री कर उसे बेचने और उससे बैंक में बंधक बनाकर फर्जी तौर पर लोन लेने की मामले खुलने लगे हैं। फर्जी लोन का मामला 200 करोड़ तक जा सकता है। और कई राजस्व अधिकारियों के साथ पटवारी अशोक जयसवाल पुनः जेल यात्रा पर जा सकते है। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )