मौत का प्रेस कॉन्फ्रेंस। अतीक अहमद एवं अशरफ की देर रात मेडिकल होने की जानकारी यूपी पुलिस से कैसे लीक हुई? देर रात पत्रकार कैसे पहुंच गए ? शूटर इतनी जल्द मीडिया कर्मी बन कर कैसे पहुंच गए ? तपन गोस्वामी [ editor in chief]
बिलासपुर एवम प्रयागराज (17 अप्रैल 2023 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] राजू पाल हत्याकांड के सजायाफ्ता यूपी का डॉन अतीक अहमद एवं उसके भाई अशरफ वर्तमान में यूपी के बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड का दोषी है एवं दोनों के खिलाफ आजीवन की सजा मुकर्रर हुई है। इसके साथ ही कुछ दिन पहले हुए उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य षड्यंत्रकारी है। और उसी प्रकरण के पूछताछ के लिए कोर्ट से पुलिस को रिमांड मिली हुई है। पूछताछ के लिए यूपी पुलिस दोनों को 14 अप्रैल 2023 को प्रयागराज लाए थे। पूछताछ के दौरान दोनों की निशानदेही पर उमेश पाल हत्याकांड में प्रयुक्त हुए .45 बोर की एक पिस्टल, .32 बोर की सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल ,58 जिंदा कारतूस, मल्टी कैलीबर के 5 कारतूस एवम 9 एम एम के पाकिस्तानी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का रिवॉल्वर इसी दिन बरामद किया गया। 15 अप्रैल को पुनः प्रयागराज पुलिस अतीक अहमद एवं अशरफ के खिलाफ भादवी की धारा 3,25,27,35 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया। शाम को दोनों अभियुक्त भाइयों ने अपनी अचानक तबीयत बिगड़ने की बात कही। जानकारी बहुत गोपनीय थी अतीक अहमद एवं अशरफ को लेकर पुलिस टीम रात्रि के 10.30 बजे मोतीलाल नेहरू मंडल चिकित्सालय पहुंचे। परंतु अतीक एवम अशरफ को लाने वाली पुलिस पार्टी मीडियाकर्मियों की भीड़ देखकर आश्चर्य में पड़ गए। और मीडिया वालों के कहने पर दोनों को बाइट लेने के लिए गाड़ी से उतार दिए। और वहीं पर शूटर मोहित, लवलेश तिवारी एवम अरुण कुमार तिवारी तीनों शार्प शूटर जो मीडिया कर्मी जैसे कैमरे एवं माइक आईडी लिए खड़े थे अचानक अतीक एवम अशरफ पर सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से फायर कर दिया और तब तक फायर करते रहे जब तक की उनकी मृत्यु नहीं हो गई। अब प्रश्न यह है कि अतीक अहमद एवं अशरफ के तबीयत बिगड़ने की जानकारी पर पुलिस टीम मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बुलाकर इलाज करवा सकते थे। उन्हें साधारण शारीरिक परेशानी थी भर्ती होने की स्थिति नहीं थी। दूसरी बात दोनों की तबीयत खराब होने की एवं इलाज हेतु हॉस्पिटल ले जाने की जानकारी अति गोपनीय थी। यह जानकारी मीडिया कर्मी तक कैसे पहुंची ? और इतने कम समय में तीनों शार्प शूटर अपने साथ अत्याधुनिक हथियार एवं डमी वीडियो कैमरा,और माइक आईडी लेकर कैसे पहुंच गए? दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब पुलिस टीम जान रही है कि उनके साथ यूपी का बहुत बड़ा डॉन बैठा है तो ऐसे समय में हॉस्पिटल के गेट के पास मीडिया कर्मियों को देखकर उन दोनों को बाईट लेने की इजाजत किसने दी? यह समझ से परे है। अक्सर यह देखा जाता है कि पुलिस जब भी किसी गैंगस्टर या बड़े अपराधियों को पकड़ती है और उसके इलाज या मुलहजा के लिए सीधे हॉस्पिटल के अंदर पोर्च पर गाड़ी खड़ी करती है। परंतु इस प्रकरण में ऐसा कुछ नहीं हुआ। जब यूपी पुलिस गुजरात के साबरमती जेल से अतीक अहमद को सुरक्षित दो बार यूपी ला सकती है। तो मात्र 15 किलोमीटर दूर स्थित हॉस्पिटल में सुरक्षित क्यों नहीं पहुंचा पाई ? मामला पाकिस्तानी मेड पिस्टल का भी है। इस कारण जांच एनआईए से कराने की जरूरत है। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेट वर्क )