डीजीपी अशोक जुनेजा को बिलासपुर के महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा छात्रों के साथ की जा रही ठगी, धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़े की प्रमाणिक शिकायत पहुंची। राजभवन को इस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ टी पी एस कांड्रा ने जो शैक्षणिक प्रमाण पत्र दिए है वह फर्जी एवं कूट रचित है। रजिस्ट्रार विजय गढ़ोरिक पहले फाइनेंस कंपनियों के गाड़ी खींचने (सीजर ) का काम करते थे? फर्जी सर्टिफिकेट से बने रजिस्टार : तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]
1 min readबिलासपुर (28 मई 2023) [तपन गोस्वामी द्वारा ] राज्य सरकार से अनुदान में मिली मंगला में कई एकड़ में फैला महर्षि यूनिवर्सिटी का पूरा नाम महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी से बदलकर महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रॉड एवं ऑपरेशनल फ्राड मैनेजमेंट रख देना चाहिए। अपने स्थापना के कई वर्षों तक बिना किसी मानता के नाइस टेक कंप्यूटर के नाम से हजारों छात्रों को फर्जी सर्टिफिकेट बना कर देने वाले इस महर्षि यूनिवर्सिटी को कुछ समय पहले ही छ.ग. निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग द्वारा कुछ महत्वपूर्ण शर्तों पर पंजीकृत किया गया। परंतु बिलासपुर के इस महर्षि यूनिवर्सिटी के तथाकथित फर्जी रजिस्टर विजय गढ़ोरिक जो पहले शहर में मोटर साइकिल एवं छोटी गाड़ियों को उठाने का काम करते थे अर्थात वह पहले फाइनेंस कंपनियों के सीजर थे। और कई थानों में विजय गढ़ोरिक के खिलाफ लूट की रिपोर्ट दर्ज है और यही विजय गढ़ोरिक फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर महर्षि यूनिवर्सिटी पर कब्जा जमाने में सफल हो गए। अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखने वाले विजय गढ़ौरिक पोस्ट ग्रेजुएट की सर्टिफिकेट फर्जी है। यह सर्टिफिकेट उन्होंने एक फर्जी निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिए बिना ही काफी रकम देकर खरीदा है। इसके बाद यही विजय गढ़ोरिक ने शहर के एक निजी विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उक्त निजी विश्वविद्यालय ने इनसे इस फर्जीवाड़े के एवज में एक मोटी रकम लेकर डॉक्टरेट की डिग्री दी। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डीपी विप्र कॉलेज से रिटायर्ड होने वाले तत्कालीन प्रोफेसर डॉ प्रभाकर पांडे मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी में ज्वाइन किए थे। उस समय यही विजय गढ़ोरिक अपने फर्जी दस्तावेज के आधार पर वहां असिस्टेंट रजिस्ट्रार बने हुए थे। बाद में डॉ प्रभाकर पांडे वहां से छोड़कर शहर के एक निजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं रिसर्च इंस्ट्रक्टर के पद पर ज्वाइन हुए थे। और विजय गढ़ोरिक को अच्छा मौका मिल गया और वह इन्हीं डॉ प्रभाकर पांडे के अंडर में अपने फर्जी पीजी सर्टिफिकेट के आधार पर डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। और अब यही विजय गढ़ोरिक मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ ठगी, धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़े के नए रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं। अब इसी यूनिवर्सिटी में एक दूसरे ठग का आगमन हुआ। जिनका नाम डॉ टी पी एस कांडरा है। यह साहब फौजी सेवा में थे और वर्तमान में रिटायर्ड हुए परंतु इनके शैक्षणिक सर्टिफिकेट अभी तक राजभवन में जमा नहीं हुए हैं। सिर्फ एक रिज्यूम से इनकी नियुक्ति कुलपति पद पर हुई है। यह बिलासपुर में नहीं रहते हैं जबलपुर से आना-जाना करते हैं। मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी ने कई सेंटर खोल कर रखे हैं जिनका इन्हें अधिकार नही है। परंतु उनके परिसर में स्टूडेंट नहीं है और जिले एवं संभाग के कंप्यूटर सेंटर में पढ़ने वाले स्टूडेंट का नाम यह फर्जी रूप से अपने यूनिवर्सिटी में जोड़ कर रखे हैं। कई स्टूडेंट यूनियन महर्षि यूनिवर्सिटी के क्रियाकलाप के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। वर्तमान में महर्षि यूनिवर्सिटी के काली करतूतों की पुख्ता एवं प्रमाणिक रिपोर्ट प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा के पास पहुंच चुका है। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )
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