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मैंने अपने रिपोर्टिंग में उल्लेखित किया था कि 19 अप्रैल 2023 को शहडोल सिंहपुर रेल दुर्घटना इंटर लॉकिंग सिस्टम फेल होने के कारण हुई थी। उड़ीसा के बालासोर रेल दुर्घटना भी इंटरलॉकिंग प्रणाली में छेड़छाड़ का नतीजा है। बिलासपुर रूट रिले केबिन (इंटरलॉकिंग सिस्टम ) में भी सतर्कता जरूरी । तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]

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बिलासपुर (05 जून 2023 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] 19 अप्रैल 2023 को शहडोल सिंह पुर रेलवे स्टेशन में दो माल गाड़ियों में भयानक भिड़ंत हो गई थी। जिसमें लोको पायलट राजेश प्रसाद गुप्ता की मौत हो गई थी। दोनों गाड़ियों में भयानक टक्कर के बाद इंजन में आग लग गई थी। जिसमें लोको पायलट श्री गुप्ता की शरीर में भी आग लग गई थी। उस वक्त रेलवे के बड़े-बड़े तुर्रम खां अधिकारी इस दुर्घटना को मानवीय चूक बता रहे थे। परंतु मैंने अपने 19 अप्रैल 2023 के अंक में शहडोल सिंहपुर रेल दुर्घटना को रूट रिले केबिन के इंटरलॉकिंग सिस्टम की खराबी करार दिया था। और अब वही बात उड़ीसा के बालासोर जिले में पिछले 2 जून शुक्रवार को घटित भयानक रेल दुर्घटना में सिद्ध हो गया। इस रेल दुर्घटना में बेंगलुरु हावड़ा दुरंतो एक्सप्रेस कोरोमंडल एक्सप्रेस एवं एक मालगाड़ी के आपस में टक्कर हो गई जिससे पलक झपकते ही 275 यात्री लाशों में तब्दील हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा हुआ। अब रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इस रेल दुर्घटना की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया है। सीबीआई की एंट्री होने से यह स्पष्ट हो रहा है कि यह एक दुर्घटना सामान्य नहीं बल्कि इसमें कुछ षड्यंत्र की बू आ रही है। सीबीआई टीम में रेल मुख्यालय दिल्ली के रूट रिले सिस्टम के तहत कार्यरत इंटरलॉकिंग सिस्टम के एक्सपर्ट को शामिल किया जा रहा है। इंटरलॉकिंग सिस्टम वास्तव में ट्रेन डायवर्टेड प्रणाली है। पहले यह मैनुअल थी। और उस समय रेल लाइन के किनारे लगे एक लोहे के लिवर से रेल पटरी को जोड़ा या अलग किया जाता था। परंतु अब यह प्रणाली स्वचालित हो गई है। और यह प्रणाली अब इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल सिस्टम पर काम करती है। और अब पटरियों को जोड़ना ट्रेन डाइवर्ट करना और पटरियों को अलग करने का काम रूट रिले केबिन बैठकर किया जाता है। इस सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रिकल पद्धति को एक्टिव करता है। और फिर इलेक्ट्रिकल पद्धति मैकेनिकल सिस्टम को रेल पटरियों को जोड़ने एवं अलग करने का ऑर्डर करता है। जिससे ट्रेन दूसरे लाइन में आसानी से डाइवर्ट हो जाती है। इसकी पूरी मॉनिटरिंग सिस्टम रूट रिले केबिन में बैठे एक्सपर्ट रेलवे स्टाफ करते हैं और यह काम 24 घंटे चालू रहता है। छोटी रेल दुर्घटना शहडोल सिंहपुर रूट एवं बड़ी दुर्घटना उड़ीसा के बालासोर में हुई। दोनों दुर्घटना रूट रैली सिस्टम के फॉल्ट के कारण हुई। दुर्घटना संदेहास्पद होने के कारण सीबीआई जांच के आदेश हुए। इन सब बातों को देखते हुए बिलासपुर रेल मंडल को भी रूट रिले केबिन में भी पर्याप्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )

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