पुलिस वाले साहब अब सोच समझकर सीआरपीसी के सेक्शन 41 (1)(डी ) के तहत ही करे गिरफ्तार नहीं तो देना होगा मुआवजा। छ ग हाई कोर्ट ने डी जी पी आई जी, डी आई जी एवं समस्त एसपी को भेजी आदेश की कॉपी। जेल में बंद आरोपियों को हाईकोर्ट के आदेश से फायदा। शक और संदेह के आधार पर गिरफ्तार करना पुलिस को पड़ेगा महंगा : तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]
बिलासपुर (29 जून 2023) [तपन गोस्वामी द्वारा ] पुलिस द्वारा गिरफ्तारी एवं जमानतो के उचित प्रावधानों का पालन न करने के लिए छ.ग. हाई कोर्ट ने सख्त कार्रवाई करते हुए सिर्फ शक और संदेह के आधार पर गिरफ्तार होने वाले व्यक्तियों को एक एक लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। और इस संबंध में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश की प्रति राज्य के डीजीपी, आई जी, डीआईजी एवं सभी एसपी को भेजने का आदेश दिया। पुलिस के खिलाफ अक्सर यह शिकायत रहती है कि बिना वारंट, बिना ठोस अपराधीक कारण के सिर्फ संदेह के आधार पर किसी की भी गिरफ्तारी कर लेते हैं। एक पुराना मामला कोरबा सिटी कोतवाली थाने के तहत सीएसएबी चौकी में पदस्थ एएसआई ने दो कारोबारी मुकेश साहू एवं आशीष मैती को गिरफ्तार कर लिया था। लगातार दोनों आरोपियों के जमानत आवेदन निरस्त हो रहे थे। जब बिलासपुर के अधिवक्ता धर्मेश श्रीवास्तव ने दोनों की जमानत याचिका लगाई। तो हाईकोर्ट ने सिर्फ जमानत याचिका ही स्वीकार नहीं की बल्कि सिर्फ शक एवं संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पर एक एक लाख रुपए का मुआवजा भी लगाएं। इस संबंध में हाईकोर्ट में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि किसी की भी गिरफ्तारी वारंट बगैर गिरफ्तारी एवं जुडिशल मजिस्ट्रेट जमानत मंजूर करने में सीआरपीसी के सेक्शन 41(1) (डी ) के प्रावधानों का पालन करें। साथ ही संगेय या गैर जमानती अपराध नहीं होने पर धारा 436 के प्रावधानों के तहत रिहा किया जाना चाहिए। और किसी भी तरह से संविधान के अनुच्छेद 21का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों की यह शिकायत रहती है कि पुलिस बिना किसी ठोस सबूत के सिर्फ संदेह के आधार पर गिरफ्तार करते है और इसकी कोई सुनवाई नहीं होती। परंतु अब हाईकोर्ट के इस आदेश की पुलिस किसी ठोस सबूत के साथ ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करें यह नियम है। हाई कोर्ट के इस कार्रवाई से जेल में बंद आरोपियों को फायदा मिलेगा। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )