मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी का फर्जीवाड़ा। अब ट्रायंगल जांच राज्य शासन, कलेक्टर बिलासपुर एवं आरटीआई कार्यकर्ता। रिटायर्ड अतिरिक्त संचालक (शिक्षा ) डॉ बीएल गोयल कर रहे हैं डबल क्रॉस। तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]
बिलासपुर (26 जुलाई 2023) [तपन गोस्वामी द्वारा ] मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी का फर्जीवाड़े का पोल खुलने लग गए हैं। इसी यूनिवर्सिटी के कथित कुलपति टी पी एस कांड्रा एवं रजिस्ट्रार विजय गढ़ोरिक के फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति के भी फर्जीवाड़ा खुलने लग गए हैं। इस मामले में अब शिकायत कर्ताओं की मेहनत रंग लाई है। राज्य शासन ने भी कई बार मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी में जांच टीम भेजी परंतु जांच टीम को महर्षि प्रबंधन के क्रियाकलाप पर थोड़ा भी विश्वास नहीं है। क्योंकि राज्य शासन से आई टीम को महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े के बहुत सारे दस्तावेज मिल चुके हैं। उसमें तथाकथित कुलपति एवं रजिस्ट्रार के शैक्षणिक दस्तावेज भी शामिल है। इसके पश्चात मंगला स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी के त्रस्त शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को भी शिकायत की मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए। उसकी भी जांच शुरू हो गई। महर्षि यूनिवर्सिटी के घपले बाजी का मामला एक आरटीआई कार्यकर्ता ने भी उठाया इस कार्यकर्ता की शिकायत भी जन सूचना अधिकारी गंभीरता से लिया। और जो जानकारी जन सूचना अधिकारी ने उपलब्ध कराई उससे भी यह सिद्ध हो रहा है कि महर्षि यूनिवर्सिटी मंगला का पूरा क्रियाकलाप फर्जीवाड़े में डूबा हुआ है। महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े को लेकर एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष रंजीत सिंह ने भी पूरे प्रमाण के साथ मामला उठाया था। जिसके आधार पर राज्य शासन से जांच आई है। शिकायत कर्ताओ का आरोप है कि छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग, राज्य शासन एवं यूजीसी के नियम एवं शर्तों को दरकिनार करते हुए महर्षि यूनिवर्सिटी के प्रबंधन मनमाने तरीके से अध्ययनरत विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर फर्जी तरीके से यह विश्वविद्यालय चलाए जा रहा है। इसमें नियम विरुद्ध प्राइवेट सेंटर चलाना शामिल है इसमें वर्तमान में 18 स्टडी सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। इन सब फर्जी बाड़े में डॉ बीएल गोयल सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक (शिक्षा ) का रोल बहुत ही संदेहास्पद है। हमेशा ये महर्षि यूनिवर्सिटी मंगला में देखे जाते हैं। जांच टीम आने के बाद यह अपने पद एवं प्रतिष्ठा का हवाला देकर उस टीम में शामिल हो जाते हैं। और जांच टीम को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। जब ये गोयल साहब निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग में थे तो इनका काम ही था निजी विश्वविद्यालय के कमियों को ढाकना। और इस तरह रिटायर्ड होने की पूर्व ही डॉ बीएल गोयल कई करोड़ की संपत्ति के मलिक बन बैठे। और अभी भी निजी विश्वविद्यालय के कमियों को ढकने का काम कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )