*वरिष्ठ पत्रकार शशिकांत कोन्हेर के दुखद निधन पर कुछ यादें। बजरंग केडिया से नहीं संभल रही थी दैनिक लोकस्वर। चार दिन बिना खाए पिए शशिकांत कोन्हेर ने निकाली थी लोकस्वर का सबसे बढ़िया बिलासपुर एडिशन। प्रेस ही बना था श्री कोन्हर का अस्थाई आवास: तपन गोस्वामी [Editor In Chief]*
बिलासपुर (23 अप्रैल 2024)[तपन गोस्वामी द्वारा] दैनिक लोकस्वर समाचार पत्र एक तरह से कहा जाए की पुराना लोक स्वर प्रेस सुविधा हॉटल के बगल में सुलझे हुए पत्रकारों का मैन्युफैक्चरिंग यूनिट था। इस लोकस्वर प्रेस से सितेश द्विवेदी, राजू तिवारी, शईद खान, अनिल पांडे, हबीब मेमन, सुधीर सक्सेना, रुद्र अवस्थी, केके शर्मा, दिनेश ठक्कर, राजेश दुआ, किशोर दिवसे, शशिकांत कोन्हेर जैसे धारदार कलम के सिपाही के रूप में बिलासपुर को पत्रकार दिए। उस समय लोकस्वर का संचालन श्याम अग्रवाल करतेथे। श्याम भैया बहुत ही उलझे हुए एवं बहुत अधिक व्यवहार कुशल व्यक्तिथे। रूठे हुए पत्रकारों को मनाना उन्हें बहुत अच्छी तरह से आता था। इस कारण पत्रकारो को यदि एक दो माह उन्हें वेतन भी नहीं मिलता था तो भी श्याम भैया के व्यवहार के कारण दैनिक लोकस्वर छोड़कर नहीं जाते थे। यह उस समय की बात है जब लोकस्वर में बजरंग केडिया संपादक थे। उनके पास पत्रकारों की बहुत ही अच्छी टीम थी। और बेवाक लिखने वाले जांबाज पत्रकार इस टीम में थे। उसी समय शहर के तेज तर्रार पत्रकार राजू तिवारी ने शिव टॉकीज से जुड़े हुए क्रिश्चियन युवती जेनेट एवं सिल्विया मर्डर मिस्ट्री से पर्दा उठाया था। लोकस्वर में छपी इस रिपोर्टिंग ने तत्कालीन अर्जुन सिंह सरकार को संकट में डाल दिया था। अर्जुन सिंह ने इस कांड की जांच के लिए भोपाल से ख्याति प्राप्त फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ हीरेश चंद्र को अपनी टीम के साथ बिलासपुर रवाना किया था। उस समय लोकस्वर के संचालक श्याम अग्रवाल के साथ एक बात थी कि वह कलम को बिकने नहीं देते थे। और किसी पत्रकार के खिलाफ कोई बात आ जाती थी तो वे ढाल की तरह खड़े रहते थे। मैं जो आज शहर के वरिष्ठ पत्रकार शशिकांत कोन्हेर की जावाजी की रियल स्टोरी लिख रहा हूं यह उसी समय की है। उस समय लोकस्वर के संपादक थे बजरंग केडिया। अचानक सुधीर सक्सेना सहित सभी एडिटोरियल स्टाफ एवं रिपोर्टर छुट्टी पर चले गए। अकेले शशिकांत कोन्हेर ही रह गए। पत्रकारों से खाली प्रेस देखकर संपादक बजरंग केडिया के हाथ पांव फूलना लग गए थे। क्योंकि दैनिक लोकस्वर उस समय का बिलासपुर शहर का सबसे लीडिंग अखबार था। बजरंग केडिया की चिता देखकर शशिकांत कोन्हेर ने मोर्चा संभाला। उन्होंने एडिटोरियल कॉलम से लेकर प्रांतीय, सिटी क्राइम, पॉलीटिकल को लिखा। बजरंग केडिया ने बिजनेस पेज को संभाला। चार दिन तक अकेले ही शशिकांत कोन्हेर ने लोकस्वर का बढ़िया एडिशन निकालकर पाठकों को बता दिया कि शहर में पत्रकारों के टैलेंट की कमी नहीं है। इस दौरान श्री कोन्हेर घर भी नहीं जाते थे।।लोकस्वर कार्यालय के बगल में गुजराती होटल से मोटा भाई उनके लिए ढोकला वगैरा नाश्ता लोकस्वर प्रेस में पहुंचाते थे। श्री कोन्हेर जी आज हमारे बीच में नहीं है परंतु उनकीधारदार लेखनी की याद हमेशा आएगी। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)