*भारतीय अपराधिक न्याय प्रणाली के नए युग की शुरुआत। 163 साल पुरानी आईपीसी और सीआरपीसी को भूल जाइए। तहसीलदार अतुल वैष्णव, सी एस पी उमेश कुमार गुप्ता एवं टी आई प्रदीप आर्य ने सिविल लाइन थाने में चर्चा की नए कानून की : तपन गोस्वामी [ Editor in chief]*
बिलासपुर (01 जुलाई 2024) [तपन गोस्वामी द्वारा ] छत्तीसगढ़ समेत देश में आधी रात लागू हुआ नया न्याय संहिता। अब 302 की जगह धारा 103 लगेगी। आज से नए कानून लागू होते ही पुलिस का क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसी टीएनएस) 30 जून की आधी रात को बदल गई। अब पुलिस को ऑनलाइन एफ आई आर नए ढंग से दर्ज करनी होगी। परंतु पुलिस के उच्च अधिकारियों का मानना है की इससे थाने के मुंशी, इन्वेस्टिगेशन ऑफीसरों को विवेचना में कोई परेशानी नहीं होगी। पुलिस को नए कानून के संबंध में काफी समय पहले से ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। नए कानून में दंड की जगह न्याय पर अधिक बल दिया गया है। नया कानून लागू होने के बाद पुराने कानून इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए ओझल हो जाएगी। नए न्याय संहिता के तहत पुलिस को हर हालत में 90 दिनों के भीतर आरोप पत्र (चार्ज शीट) कोर्ट में दाखिल करना होगा। इस नए कानून में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि 7 साल से कम सजा वाले प्रकरणों में आरोप पत्र दाखिल करते समय आरोपी की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं है। यह गिरफ्तारी प्रकरण की गंभीरता के आधार पर तय की जाएगी। हत्या से लेकर सभी तरह के अपराध की धाराएं बदली है। अब 302 की जगह 103, चोरी 379 की जगह 303, ठगी 420 की जगह 118, बलात्कार 376 की जगह 64 होगी। आज दोपहर सिविल लाइन थाने में भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता नए कानून का स्वागत करने पहुंचे। थाने में नया न्याय संहिता के संदर्भ में तहसीलदार बिलासपुर अतुल वैष्णव, सी एस पी सिविल लाइन उमेश कुमार गुप्ता, टी आई प्रदीप आर्य एवं अन्य पुलिस अधिकारियों ने नए न्याय संहिता के संदर्भ में चर्चा की। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)