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*चार रिटायर्ड आईपीएस सहित करीब 178 अधिकारियों के खिलाफ ए.सी.बी में जांच पेंडिंग। डिप्टी कलेक्टर नारायण प्रसाद गवेल एवं नगर निगम बिलासपुर के एक भ्रष्ट इंजीनियर के खिलाफ भी एफ आई आर परंतु गिरफ्तारी नहीं :: तपन गोस्वामी [Editer In Chief]*

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-बिलासपुर (15 अगस्त 2024 ) [तपन गोस्वामी द्वारा ] एसीबी यानी एंटी करप्शन ब्यूरो यह एक पावरफुल एजेंसी है और इनका काम भ्रष्ट शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारी को भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ना एवं उन्हें जेल भेजना है। परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले जिला शिक्षा अधिकारी टी आर साहू के सरकारी आवास एवं उनके कार्यालय में एसीबी की टीम ने छापा मारा था। कई करोड़ के संपत्ति के कागजात सहित लाखों रुपए कैश मिले। टी आर साहू के खिलाफ एसीबी द्वारा अपराध पंजीबद्ध किया गया। भ्रष्टाचार के गंभीर मामले होने के बावजूद टी आर साहू की गिरफ्तारी नहीं की गई। अभी भी श्री साहू सारे शासकीय कार्य का निष्पादन कर रहे हैं। एसीबी उन्हें मौका दे रही है कि वह उच्च न्यायालय जाए और अपना मामला वहा रखे। जबकि वास्तव में नियम है कि किसी भी प्रकरण में एफ आई आर दर्ज होने के पश्चात आरोपी को पहले गिरफ्तार करें, उसका रिमांड ले और उसके बाद जेल भेजने के कार्रवाई करें। बिस्वस्त सूत्रों से हमें यह जानकारी मिली है कि एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) के पास चार रिटायर्ड आईपीएस सहित 178 शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के मामले पेंडिंग है। सालों साल जांच चल रही है परंतु कोई नतीजा निकल कर नहीं आ रहा है। इसमें से कई अधिकारी छत्तीसगढ़ छोड़कर बाहर जा चुके हैं। आम जनता के खुशहाली एवं उनके जीवन में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार जो योजनाएं बनाती है और उसमें जो बजट स्वीकृत होता है उसमें से 65% धन भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के स्वयं एवं उनके परिवार के संपन्नता में खर्च हो जाता है। अब एक साधारण बात देखिए बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी टी आर साहू एक साधारण शिक्षक से इस पद पर पहुंचे हैं। क्या उनकी औकात है कि वे 10-10 लाख के लग्जरी कार रखें? और साथ ही करीब 5 करोड़ के जमीन जायदाद के कागजात एंटी करप्शन ब्यूरो के हाथ लगे है। परंतु वास्तव में जिला शिक्षा अधिकारी को इस वक्त जेल में होना चाहिए। परंतु वह अभी इधर-उधर घूम कर अपने घर में कई पटवारियो को बुलाकर मामला रफा दफा करने में लगे हैं। अब एक कहानी एक रिटायर्ड आईपीएस की है जो की रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ के एसपी रहे है और आईजी बनाकर रिटायर्ड हुए हैं। इस रिटायर्ड आईपीएस के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में मामला दर्ज है। कुछ दिन पहले यही आईपीएस अधिकारी अपने पत्नी के नाम से हाउसिंग बोर्ड के एक मकान को एक करोड रुपए के ऊपर में बेचे है। परंतु ए सी बी को कानों कान इस बृहत भ्रष्टाचार की खबर नहीं है। और एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बिलासपुर में कार्यरत एंटी करप्शन ब्यूरो कार्यालय न्याय धानी में कार्यरत है। जहां हाई कोर्ट भी है। ए सी बी के सारे प्रकरण हाई कोर्ट बिलासपुर में ही आते हैं। परंतु सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां का कार्यालय फुल फ्लैश नहीं है। अभी भी यदि किसी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ शिकायत करनी हो तो बिलासपुर ए सी बी ऑफिस उस शिकायत को नहीं लेते हैं। इसके लिए शिकायत को रायपुर भेजना पड़ता है। और यहां आते-आते सालों साल लग जाते हैं। इस कारण बिलासपुर में भी एंटी करप्शन ब्यूरो की फुल फ्लैश कार्यालय की जरूरत है। अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अभी एंटी करप्शन ब्यूरो के पास करीब 178 अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मामले पेंडिंग है। जिसमें चार रिटायर्ड आईपीएस के साथ पूर्व तहसीलदार एवं वर्तमान डिप्टी कलेक्टर नारायण प्रसाद गबेल भी शामिल है। अब देखते हैं कि एंटी करप्शन ब्यूरो इन भ्रष्टाचारियों को कब तक जेल पहुंचाएगी।( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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