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*डिटेक्टिव की तरह काम करनी चाहिए एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट ( ACCU ) के स्टाफ को। उक्त खुफिया यूनिट अभी तक नहीं कर पाई एक भी सस्पेक्ट डेथ का खुलासा। चोरी, जुआ सट्टा, कबाड़ी तक सीमित। असली ड्रग पेडलर अभी तक इनके पहुंच से बाहर : तपन गोस्वामी [Editer In Chief]*

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बिलासपुर (03 सितंबर 2024) [तपन गोस्वामी द्वारा ] व्यापार विहार के पुराने आरटीओ कार्यालय से एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट तार बहार थाने के परिसर में स्थानांतरित हो गई। अबकी बार इस खुफिया यूनिट को बहुत बड़ा प्रेमिसेस मिल गया है। कांग्रेस शासन काल में एंटी क्राइम और साइबर यूनिट की स्थापना हुई थी। शासन का इस खुफिया यूनिट के स्थापना का उद्देश्य स्पेशल क्राइम इन्वेस्टीगेशन था। स्पेशल क्राइम अर्थात संदेहास्पद मौत की घटना,, बड़े बैंकिंग फ्रॉड, शासन की योजनाओं में चल रहे फर्जी क्रियाकलाप की जांच, साइबर फ्रॉड, बाहर से अर्थातअन्य प्रांतों से आकर अपराध को अंजाम देने वालों की शिनाक्ति सहित अन्य अपराध था। परंतु स्थापना काल से ही एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट के स्टाफ पुराने क्राइम ब्रांच के ढर्रे पर चोरी, जुआ सट्टा, कबाड़ बेचने वालों को पकड़ना छोड़ने का काम ही किया। बिलासपुर शहर एवं जिले में जो बड़े अपराधिक घटना को अंजाम देने वाले आरोपी पकड़े गए इसका श्रेय थाने एवं उसके स्टाफ को जाता है। थाने की क्राइम स्टोरी में एंटी क्राइम और साइबर यूनिट जबरदस्ती घुसने का प्रयास करती है। बिलासपुर शहर में जब महादेव सट्टा का बहुत अधिक जोर था। और मीडिया में स्थानीय प्रताप चौक के एक बड़े सटोरिया होने की जानकारी समाचार में आ रही थी। तो सबसे पहले एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट का एक स्टाफ की कार उस सटोरिए के होटल के सामने देखी जाती थी। शहर के चुचुई यापारा एरियामें काफी संख्या में बांग्लादेशी आकर रह रहे हैं। उनका कहना है कि वह फेरी कर अपना गुजारा कर रहे हैं। इनकी पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी है। हालांकि यह काम संबंधित थाना क्षेत्र का है परंतु थानों में बहुत अधिक काम एवं वीआईपी मूवमेंट से संबंधित काम रहता है। तो यह काम एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट के स्टाफ कर सकते हैं। जहां तक सवाल है सस्पेक्टेड डेथ के इन्वेस्टिगेशन का तो यह खुफिया यूनिट इसमें जीरो है। क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन का अनुभव भी इन्हें नहीं है। तभी तो शहर की बहु चर्चित डॉ पूजा चौरसिया डेथ मिस्ट्री की जांच सीआईडी को देनी पड़ी। इसी तरह कई मामले अभी भी पेंडिंग है। अब पहले जैसा समय नहीं है। आम आदमी भी देश के नए न्याय संहिता को अच्छे ढंग से स्टडी करने में लगे हैं। यदि किसी के यहां कोई घटना घट जाती है तो वह प्रकरण की जांच कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इस कारण एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट के स्टाफ को भी इन्वेस्टिगेशन का पर्याप्त अनुभव के साथ ही फॉरेंसिक टीम के साथ सामंजस्य बनाने के साथ ही क्राइम सीन के जांच का पर्याप्त अनुभव होने की आवश्यकता है। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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