*राज्य स्तरीय न्यायिक कॉन्फ्रेंस संपन्न। उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीश आज शहर में। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक सशक्त व निडर न्यायपालिका ही आम नागरिकों के अधिकारो की रक्षा करने में सक्षम होंगे : तपन गोस्वामी [एडिटर इन चीफ ]*
बिलासपुर (08 सितंबर 2024) [तपन गोस्वामी द्वारा] छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में आज जिला न्यायपालिका के सशक्तिकरण व सिविल एवं क्रिमिनल विधि पर राज्य स्तरीय न्यायिक कॉन्फ्रेंस संपन्न हुए। कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत और कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा एवं जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा रहे। राज्य स्तरीय न्यायिक कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। जस्टिस सूर्यकांत ने अपने उद्बोधन में कहा पक्ष कारो के संपर्क में सर्वप्रथम जिला न्यायपालिका आती है। ऐसी दशा में जिला न्यायपालिका की जिम्मेदारी व भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है। और यदि न्यायाधीश निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है तो कोई प्रक्रियात्मक व तकनीकी अड़चन न्यायाधीश को एक तार्किक निर्णय लेने में बाधा नहीं बन सकती है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा ने अपने मुख्य भाषण में जिला न्यायपालिका की भूमिका वह महत्व पर जोर देते हुए व्यक्त किया कि भारत में जिला न्यायपालिका केवल वैधानिक न्यायालय ही नहीं है बल्कि इसकी जड़ें भारत के संविधान में उपस्थित है। श्री नरसिम्हा ने कहां की जिला न्यायपालिका भौगोलिक व भाषाई पहुंच में पक्षकारों के निकट होती है। जिला न्यायपालिका स्थानीय स्तर पर लोगों की प्रथा, रीति रिवाज, बोली को ज्यादा अच्छे तरीके से समझते हैं। न्याय कांफ्रेंस में अपने उद्बोधन में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में कि जिला न्यायपालिका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नए कानून के लागू होने से जिला न्यायालयो की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि गणों का इस ऐतिहासिक न्यायिक कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )