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राजस्थान, यूपी, बिहार, झारखंड के भगोड़े यहां आकर खोल रहे हैं कोल वाशरीज। कोल वाशरी खा जाएगा पूरे गांव जंगल एवं झाड़। ग्राम घुट्कु के ग्रामीण अकेला ! जैन एंड कंपनी के साथ पूरा पुलिस एवम् प्रशासन: तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ]

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बिलासपुर ( 1 अप्रैल 2022)[ तपन गोस्वामी द्वारा] राजस्थान, यूपी, बिहार, झारखंड के भगोड़े क्रिमिनल छत्तीसगढ़ में आकर सिर्फ एक ही काम कर रहे हैं वह है जमीन की माफिया गिरी, कोयले की चोरी चमारी और गांव में कोल डिपो कोल वाशरी लगाकर गांव के गांव को श्मशान में तब्दील करने का। अपने आप को उद्योगपति कहने वाले यह बाहरी भगोड़े राजस्थान, यूपी, बिहार एवं झारखंड से खदेड़ कर निकाले जाते हैं और अन्य प्रांतों के भगोड़े यहां आकर वन टू का फोर और फोर टू का वन कर कम समय में ही करोड़पति बन जाते हैं। इसमें हमारे यहां के टूट पूंनजिया नेताओं का बहुत जबरदस्त इंवॉल्वमेंट रहता है। अभी ग्राम धानापारा ( घुटकु) के ग्रामीण पारस कोल वासरीज का जमकर विरोध कर रहे हैं। परंतु ग्रामीण पारस कोल के जैन एंड कंपनी के सामने काफी कमजोर है। क्योंकि शासन प्रशासन पूरा पुलिस फोर्स खुलकर पारस कोल का समर्थन कर रही है। अर्थात छत्तीसगढ़ के अधिकारी खुद अपना नाव डूबते देख रहे हैं। एक कोल वाशरी के कारण पूरा गांव का गांव शमशान में तब्दील होता जा रहा है। गांव में लगने वाले कोल वाशरी में सिर्फ बिहार एवं झारखंड के मजदूर ही काम कर सकते हैं क्योंकि हाड़ तोड़ मेहनत और वेतन इतना की परिवार का पेट न भर सके। यूपी बिहार से आने वाले मजदूर कोल वाशरी प्लांट में ही रहते हैं 12 घंटा काम करते हैं इन्हें छत्तीसगढ़ के मजदूर के बनिस्बत कोल वाशरी वाले अधिक वेतन देते हैं। अन्य प्रांतों से आने वाले तथाकथित उद्योगपति लोटा कम्बल लेकर आते हैं और कुछ ही सालों में करोड़ों के संपत्ति के मालिक बन बैठते हैं। और छत्तीसगढ़ के मजदूर प्रतिदिन सुबह बृहस्पति एवं शनिचरी बाजार में अपने को बेचते है। इन तथाकथित बाहरी माफियाओं के भवन बनाते हैं और खुद अपने परिवार के साथ भूखे सो जाते हैं। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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