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हाथियों का आतंक! पंडो जनजाति आतंक के साए में। पढ़िए एक फॉरेस्ट अधिकारी की अय्याशी की कहानी: तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]

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बिलासपुर (04 जनवरी2022)[ तपन गोस्वामी द्वारा] पूरे बलरामपुर जिले में जंगली हाथियों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। सबसे बड़ी बात प्रशासन के बड़े अधिकारी, वन विभाग के बड़े अधिकारी एवं जिम्मेदार कर्मचारी आराम से इस कड़कड़ाती सर्दी में 5 डिग्री तापमान पर रूम हीटर एवं रजाई गद्दे के अंदर आराम फरमा रहे हैं परंतु दूसरी और हाथियों के आतंक से भयभीत छत्तीसगढ़ के मूल निवासी पंडो जनजाति इस 5 डिग्री के ठंड में अपने परिवार के बुजुर्ग माता पिता एवं छोटे-छोटे बच्चों को लेकर जान बचाने के खातिर इधर उधर भाग रहे हैं। वन्यजीवों आतंक से मुक्ति दिलाने वाले एवं प्रतिमाह लाखों रुपए सरकारी वेतन प्राप्त करने वाले वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी इस ठंड में आराम फरमाते है। इसी फॉरेस्ट रेंज में एक बड़े अधिकारी एक खाली बंगलों में एक अधिकारी मैडम के साथ अय्याशी में व्यस्त रहता है। पहले यह अय्याश वन अधिकारी की पोस्टिंग अंबिकापुर में थी वहां इनका चक्कर एक सरकारी स्कूल के खूबसूरत शिक्षिका से चल रहा था तब इस अधिकारी की पत्नी अपने पति को रंगरेलियां मनाते रंगे हाथों पकड़ी थी। वही कहानी यह भी दोहराई गई सिर्फ मैडम चेंज हो गए। पंडो जाति छत्तीसगढ़ की मूल निवासी है वे आज बलरामपुर के रामचंद्रपुर में हाथियों के आतंक से भयभीत है। इस ठंड भरी रात में इधर उधर भाग रहे हैं। फॉरेस्ट अधिकारी पंडो जाति के परिवारों को रद्दी की टोकरी समझ कर असुविधा युक्त एवं जर्जर पंचायत भवन में रेस्क्यू की हैं। भवन पक्का होने के कारण यह गरीब पंडो जाति के परिवार वहां अलाव नहीं चला पा रहे हैं जिससे वे ठंड की मार भी झेल रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी बलरामपुर रेंज के फॉरेस्ट अधिकारी जो पंडो जाती के परिवारों को परेशान कर रहे हैं उन्हें तुरंत बर्खास्त करें नहीं तो यह भ्रष्ट अधिकारी दीमक की तरह सिस्टम को चट कर जाएगा।( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )

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