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मूक पशुओं की जान की कीमत पर यूक्रेन में पढ़ रहे हैं वन अधिकारियों के बच्चे। 15 बकरे का बिल कट रहे हैं सिर्फ 8 बकरे। पशुओं के मृत्यु का कारण भुखमरी। पी.बी. नरसिम्हा राव के पास पहुंच रहे हैं करोड़ों रुपए : तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]

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बिलासपुर ( 27 फरवरी 2022) [ तपन गोस्वामी द्वारा] शहर एवं आसपास के आकर्षण का केंद्र कानन पेंडारी भ्रष्ट वन अधिकारी एवं शास. पशु चिकित्सकों के चंगुल में फंस कर दम तोड़ रहा है। छुट्टी के दिनों में बच्चों का आकर्षण का केंद्र रहता है कानन पेंडारी। परंतु जिस तरह से यहां एक के बाद एक मूक पशुओं का मरने का सिलसिला शुरू हुआ है ऐसा लगता है की कुछ दिनों बाद शेर, चिता, बाइसन एवं दरियाई घोड़े के सीमेंट से बने मॉडल से ही बच्चों को मनोरंजन करना पड़ेगा। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने नाम को गोपनीय रखने के शर्त पर जो जानकारी दी वह काफी चौंकाने वाली है उन्होंने कहा की वर्तमान पी सी एफ ( वाइल्ड लाइफ ) पी वी नरसिम्हा राव के इशारे पर भ्रष्टाचार का नंगा नाच चल रहा है। अधिकारी ने बताया की मांसाहारी पशुओं के लिए प्रतिदिन 15 बकरे कटने का प्रावधान है परंतु कटते सिर्फ 8 बकरे और बिल 15 बकरे का बिल सब्मिट किया जाता है इस तरह लाखों रुपए की हेरा फेरी प्रतिमाह बकरे के गोश्त से की जाती है। उक्त वन अधिकारी ने बताया की जो अभी पशुओं के मरने का सिलसिला चल रहा है उसका मुख्य कारण भुखमरी है। और फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाकर पशुओं के मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया जाता है। कई वन अधिकारियों के कमजोर दिमाग के बच्चे यूक्रेन में बैक डोर से डॉक्टर बनने गए हैं और उनकी फीस बहुत है और यह वन अधिकारी मूक पशुओं को भूखा रखकर उनके मौत का सौदा कर बच्चों को विदेश में पढ़ा रहे हैं। बड़े भ्रष्टाचार की बात तो छोड़िए 15 की जगह 8 कटने वाले बकरे का अर्थात प्रतिदिन सात बकरे का पैसा कहां कहां बटता है ? इसकी भी जांच होनी चाहिए। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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