बिलासपुर (4 अप्रैल 2022) [तपन गोस्वामी द्वारा] डॉ आरती पांडे शहर के आम जनता एवं गरीबों के मध्य वह नाम है जिसे पाने के लिए शहर की बेटी ने किस तरह मेहनत की शायद उन्हें भी याद नहीं है। परंतु आम जनता एवं पत्रकार जोकि सिम्स की घोषणा एवं निर्माण के साक्षी हैं उन्हें अच्छी तरह याद है कि कोनी से प्रतिदिन एक कम उम्र की डॉक्टर मैडम बजाज स्कूटर से उस समय के जिला चिकित्सालय में आती थी और दिन भर रायपुर के अधिकारियों से मेडिकल काउंसिल के एक्सपर्टो से चर्चा करती थी। डॉ आरती पांडे उस समय बिलासपुर की आम जनता एवं गरीबों के लिए एक स्वास्थ्य प्रतिनिधि के रूप में खड़ी थी और सिर्फ एक ही बात सोचती थी कि किस तरह जल्द से जल्द बिलासपुर का मेडिकल कॉलेज बन जाए जिसमें यहां के बच्चे पढ़कर डॉक्टर बने और आम जनता एवं गरीबों की सुपर स्पेशलिटी तकनीक से इलाज हो। इसके लिए डॉ आरती पांडे अपनी टीम के साथ रात दिन मेहनत करती थी। आज बिलासपुर की जनता को एक अच्छे मेडिकल कॉलेज के रूप में सिम्स मिला है इसमें शहर की प्रतिभाशाली बेटी डॉ आरती पांडे की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। आज डॉ आरती पांडे सिम्स में महत्वपूर्ण पद में है परंतु आज भी वह गरीब मरीजों का विशेष ख्याल रखती हैं। मरीजों के बीमारी संबंधी जिज्ञासा जो कि एक मेडिकल साइंस की भाषा में होती है परंतु डॉ आरती पांडे उसे सरल छत्तीसगढ़ी भाषा में आम मरीजों को समझा कर उसका विधिवत इलाज भी करवा देती है। एक घटना जरहाभाटा मंदिर चौक में कुछ साल पहले घटित हुई जिसमें मारपीट के केस में गंभीर रूप से घायल राजेश सूर्यवंशी के परिवार की महिलाएं सिम्स में देर रात भर्ती हुई वहां हेल्थ कार्ड अपडेट नहीं हो पा रहा था जिसके कारण दवाइयों की खरीदी एवं उपचार शुरू नहीं हो पा रही थी जब यह बात डॉ आरती पांडे को पता चला तो रात के 12 बजे सिम्स पहुंचकर व्यवस्था को संभाली और कीमती दवाइयां उपलब्ध कराने के साथ ही इलाज भी शुरू करवा दी। आज भी शहर की बेटी डॉ आरती पांडे बिना किसी दबाव के इमानदारी से आम जनता एवं गरीबों की सेवा में लगी है। (Buro report jasusi najar news network)