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मोपका के खसरा नंबर 54/64 के फर्जीवाड़े की मोड्स ऑपरेंडी मस्तूरी के भदौरा जैसा ही है। ठग राज एन.पी. गवेल एवं पटवारी अमित पांडे का दबा हुआ कारनामा। तैयार हुआ फर्जी दस्तावेज। कब होंगे गिरफ्तार ? तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]

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बिलासपुर ( 23 मई 2022 ) [ तपन गोस्वामी द्वारा ] शहर का एक बहुत बड़ा ठग बाज अधिकारी पूर्व डिप्टी कलेक्टर नारायण प्रसाद गवेल एवं मोपका के पूर्व पटवारी अमित पांडे के फर्जीवाड़े के कारनामे रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बिलासपुर वासी इन दो सरकारी ठग से काफी परेशान है। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि शासन-प्रशासन को इनके द्वारा किए गए जमीन फर्जीवाड़े की जानकारी है परंतु इसके बावजूद इनके खिलाफ कार्यवाही करने में अधिकारियों के हाथ कांप जाते हैं। ऐसा ही एक मामला मोपका के खसरा नंबर 54/67 का है। इस सरकारी जमीन को तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर नारायण प्रसाद गवेल एवं पटवारी मोपका अमित पांडे एवं शहर का एक कुख्यात भू माफिया ने मिलकर खसरा नंबर 54/67 का तत्कालीन पटवारी अमित पांडे के खसरा पंच साला में जगह खाली था और उक्त तीनों ठगों ने मिलकर खसरा नंबर 54/67 के रिक्त रकवा कॉलम में फर्जी ढंग से शासकीय दस्तावेज में कूट रचना कर फर्जी रकवा 3.29 एकड़ चढ़ा दिया। पटवारी अमित पांडे ने इस खसरे नंबर एवं रकवा को ऑनलाइन भुइयां सॉफ्टवेयर में दर्ज करके रजिस्ट्री हेतु डिजिटल हस्ताक्षर कर दिया। इस फर्जीवाड़े का मॉड्स ऑपरेंडी भदौरा मस्तूरी जैसा ही है। ऑनलाइन में इस रकवा को चढ़ाने के बाद तत्कालीन तहसीलदार नारायण प्रसाद गवेल इसमें दर्ज भूस्वामी के वारिसों का फर्जी ढंग से फौती नामांतरण भी दर्ज कर दीया। इसके लिए नारायण प्रसाद गवेल मौका जांच को भी नजरअंदाज कर दिया। इस फर्जीवाड़े में रजिस्ट्रार की महत्वपूर्ण भूमिका रही क्योंकि इनकी ड्यूटी रजिस्ट्री के पहले जमीन का भौतिक सत्यापन करना होता है। तहसील कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में जो रिकॉर्ड मौजूद है उसमें वर्ष 2016 का खसरा नंबर 54/67 की जांच हो तो सच्चाई सामने आ जाएगी क्योंकि खसरा पांच शाला वर्ष 2004 में खारिज होकर निरस्त हो गया था। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )

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