वेतन पुलिस विभाग से काम निजी फाइनेंस कंपनी के वसूली गुंडों का। थाने के सील ठप्पे का भरपूर अवैधानिक उपयोग। क्राइम सीन में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को जानबूझकर बिगाड़ रहे हैं थाने में बिना वर्दी के घूमने वाले स्टाफ : तपन गोस्वामी [ एडिटर इन चीफ ]
बिलासपुर ( 8 जून 2022 ) [ तपन गोस्वामी द्वारा ] कुछ थानों में विशेषकर सिविल लाइन थाने में कुछ बिना वर्दी के पुलिस स्टाफ घूमते दिख जाएंगे। जो अपने आप को क्राइम टीम के स्टाफ कहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर के गुंडे बदमाश असामाजिक तत्व सभी इन बिना वर्दी वाले स्टाफ से गहन दोस्ती का नाता बनाए रखते हैं। इन गुंडों बदमाशों को किसी काम के लिए थाने आने की जरूरत नहीं होती बल्कि यह बिना वर्दी वाले स्टाफ इनकी घर पहुंच सेवा देते हैं। थानेदार यदि किसी गुंडे बदमाश की जानकारी इन बिना वर्दी वाले स्टाफ से लेते हैं तो 15 मिनट के अंदर उस गुंडे बदमाश को यह जानकारी मिल जाती है कि टीआई साहब तुम्हारे विषय में पूछताछ कर रहे हैं। थाने में घूमने वाले यह बिना वर्दी के स्टाफ वेतन तो पुलिस विभाग से लेते हैं परंतु अपनी भरपूर सेवा प्राइवेट फाइनेंस कंपनी के वसूली गुंडों को देते हैं। थाने में घूमने वाले यह बिना वर्दी के पुलिस स्टाफ एक तरह से समानांतर पुलिस व्यवस्था चला रहे हैं। निजी फाइनेंस कंपनी के वसूली गुंडों को यदि शहर में किसी की गाड़ी वगैरह उठाने की बात होती है तो वे थाने के बिना वर्दी वाले पुलिस स्टाफ से संपर्क करते हैं। थाने के ये स्टाफ इन फाइनेंस कंपनी के वसूली गुंडों से काफी रकम लेकर एक साधारण कागज पर लिखें वाहन उठाने के इंटीमेशन लेटर पर थाने का सील अवैधानिक रूप से लगा कर दे देते हैं। जिसकी जानकारी थानेदार को नहीं होती है। कभी-कभी तो थाने के ये बिना वर्दी वाले स्टाफ निजी फाइनेंस कंपनी के गुंडों से अधिक पैसा लेकर रोजनामचा रजिस्टर में अवैधानिक रूप से लिए गए इंटीमेशन लेटर का डिटेल की एंट्री कर सिर्फ 10 हजार के लिए थानेदार की नौकरी को भी खतरे में डाल देते हैं। न तो पुलिस के उच्च अधिकारियों की अनुमति और न ही कोर्ट का आदेश सिर्फ चंद रुपए के लिए थाने का एक अदना सा पुलिस स्टाफ किस तरह कानून को अपने हाथ ले लेता है । यह सोचने वाली बात है। निजी फाइनेंस कंपनी के गुंडों को जब थाने से सील लगे वाली इंटीमेशन लेटर मिल जाती है तो यह गुंडे गाड़ी उठाने में पूरी तरह कानून को अपने हाथ में लेकर गाड़ी मालिक से मारपीट, गाड़ी में लगे कीमती उपकरणों की लूट कर गाड़ी मालिक से जबरदस्ती गाड़ी लूट लेते हैं। क्योंकि संबंधित थाना क्षेत्र के बिना वर्दी के पुलिस स्टाफ इन गुंडों को एक साधारण इंटीमेशन लेटर में सील लगाकर डकैती एवं हत्या का लाइसेंस जारी कर दिया है। यह गुंडे कभी गाड़ी चला कर तो कभी पावर लिफ्टर से गाड़ी उठा कर ले जाते हैं। यदि कभी गाड़ी मालिक इन फाइनेंस कंपनी के गुंडों का विरोध करती है तो वही थाने का बिना वर्दी का स्टाफ इन गुंडों के साथ इनकी सुरक्षा ने खड़ा दिखता है। और कभी यह बात आती है कि इन निजी फाइनेंस कंपनी के गुंडों को गाड़ी उठाने की इजाजत किस पुलिस अधिकारी ने दी तो थाने के इन बिना वर्दी वाले पुलिस स्टाफ की हालत खराब हो जाती है और इधर उधर दौड़ लगाने के साथ ही गाड़ी मालिक को धमकी देने का काम शुरू हो जाता है। आजकल सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का महत्व बहुत ही बढ़ गया है। विशेषकर हत्या, डकैती, लूट एवं रोड में मारपीट में पुलिस का प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन स्टेटस सीसीटीवी फुटेज ही होता है। परंतु थाना प्रभारी अपने जिन पुलिस स्टाफ को विश्वास कर क्राइम सीन में फुटेज लेने के लिए भेजती है उन बिना वर्दी वाले पुलिस स्टाफ सबसे पहले यह पता लगा लेता है कि मोहल्ले में घटित इस मर्डर केस में कौन है मास्टरमाइंड और किन-किन प्रभावशाली व्यक्तियों के गुर्गों का हाथ इस मर्डर केस में है। तो टी आई के आदेश से क्राइम सीन में सीसीटीवी फुटेज लेने आए यह बिना वर्दी के स्टाफ अपने फायदे के अनुसार फुटेज को पेन ड्राइव में लेने से पहले वह सब कुछ कर देता है जिसके लिए वह गुंडे बदमाशों के लिए हीरो बना रहे और उनसे आर्थिक लाभ लेते रहे। शहर के कई चर्चित मर्डर केस में अभी तक क्राइम सीन से उन संदेहियों के परफेक्ट फुटेज नहीं मिल पाए जिसकी की इन्वेस्टिगेशन में अत्यंत आवश्यक है। ( ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )