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*बिलासपुर के कुछ जांबाज पत्रकारों के पास है लाइसेंसी पिस्टल। शासन पत्रकारों को शस्त्र लाइसेंस देने के शर्तों में ढील दे। अपने ही दुश्मनों बिल्डर, जमीन दलाल, उद्योगपति, शासन के भ्रष्ट अधिकारियों के क्राइम एंगल में रहते हैं पत्रकार। पत्रकार मुकेश चंद्राकर को फोन से अंतिम बार बुलाने वाला मुकेश का ही विश्वस्थ था : तपन गोस्वामी [एडिटर इन चीफ ]*

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बिलासपुर (05 जनवरी 2025) [तपन गोस्वामी द्वारा] छत्तीसगढ़ के घोर नक्सली क्षेत्र बीजापुर में पूरी जांबाजी से पत्रकारिता करने वाले युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर अपने धारदार रिपोर्टिंग से दोस्त कम दुश्मन अधिक बना लिए थे। मुकेश चंद्राकर के एक खासम खास ही अंतिम बार फोन कर मुकेश को बुलाया था। और उसके बाद उसकी डेड बॉडी कुख्यात ठेकेदार एवं पत्रकार मुकेश चंद्राकर का मर्डर। प्लान करने वाले सुरेश चंद्राकर के बैडमिंटन कोर्ट से लगे सेप्टिक टैंक में पाया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इस मामले में काफी गंभीर है। हत्या के पश्चात बहुत ही कम समय में पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया है। परंतु मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर फरार है। सीएम के निर्देश पर ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चल चुका है। जानकारी आ रही है कि कल सोमवार को सुरेश चंद्राकर के कुछ और अवैध निर्माण पर चलेगा बुलडोजर। पत्रकार सुरेश चंद्राकर हत्या की घटना में सिर्फ ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ही शामिल नहीं है बल्कि लोक निर्माण विभाग के भ्रष्ट अधिकारी गण भी शामिल है। जो की एक अति साधारण दस हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पाने वाले व्यक्ति को भ्रष्टाचार के बल पर 100 करोड़ का ठेकेदार बना दिया। वैसे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन कर दिया है। परंतु कभी भी जांच का दायरा बढ़कर फाइनेंशियल क्राइम एंड इन्वेस्टिगेशन की ओर बढ़ सकता है। और इसमें हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी के अलावा लोक निर्माण विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी भी एस आई टी के इन्वेस्टिगेशन रेंज में आएंगे। एक पत्रकार सुबह से शाम तक खतरों से खेलता है। एक कलम की ताकत को कोई भी नजर अंदाज नहीं कर सकता है। क्योंकि हम जानते हैं कि एक पत्रकार की कलम की ताकत ही थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व
इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर सत्ता से हटना पड़ा था। जहां तक सवाल है पत्रकारों के धारदार रिपोर्टिंग का समाचार प्रकाशन के बाद ही भ्रष्ट ठेकेदार, जमीन दलाल, बिल्डरो के यहां तहलका मच जाता है। और पहले तो पत्रकार को धमकी चमकी दी जाती है। फर्जी केस में फंसाने का डर दिखाया जाता है। और इसके बाद सीधा मर्डर प्लान। शासन से अनुरोध है की पत्रकारों को पिस्टल लाइसेंस देने के नियम को कुछ हद तक शिथिल करे। जिससे पत्रकारों को आसानी से।पिस्टल का लाइसेंस मिल सके। वैसे बिलासपुर के कुछ जांबाज पत्रकारों के पास लाइसेंसी पिस्तौल है।(ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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