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*आकार में छोटा होगा बिलासपुर शहर सरकार। शहर की जनता निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार, घूसखोरी, अधिकारियों के मनमानी के खिलाफ भाजपा को दिया वोट। बिना जगह दिए नहीं उजाड़े जाएंगे छोटे कारोबारीयो के ठेला एवं दुकाने: तपन गोस्वामी [एडिटर इन चीफ ]*

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बिलासपुर (21 फरवरी 2025) [तपन गोस्वामी द्वारा] लगातार 15 वर्ष तक छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार रहने के बावजूद सन 2018 में छत्तीसगढ़ की जनता ने अपनी पॉलिटिकल लिटमस टेस्ट के तहत एक बार कांग्रेस की सरकार बनाने की गोपनीय तैयारी की थी। और पूर्ण बहुमत से कांग्रेस पार्टी को सत्ता सौंप दी। राज्य में जन उपयोगी योजनाएं तो बीजेपी की तत्कालीन सरकार की ही थी। परंतु कांग्रेस के तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमंडल ने अपने कुछ नेताओं के नाम से भी जन उपयोगी योजनाएं प्रारंभ की थी। परंतु उसमें जनता को कुछ लाभ नहीं हुआ। बल्कि कांग्रेस के नेता कम समय में ही करोड़ों के मालिक बन बैठे। कांग्रेस के शासन में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक तथ्य यह भी था और वह था ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री। अर्थात ढाई साल भूपेश बघेल और ढाई साल टी एस सिंह देव मुख्यमंत्री बनेंगे। परंतु छत्तीसगढ़ के सीधी साधी जनता को कांग्रेस का यह फार्मूला एकदम पसंद नहीं आया। क्योंकि सन 2018 के बाद इन पांच सालों में प्रतिदिन प्रातः समाचार पत्रों में एक ही रहस्य एवं रोमांच के साथ यह समाचार प्रकाशित होते थे की क्या भूपेश बघेल की गद्दी छिनी जाएगी? और क्या टी एस सिंह देव मुख्यमंत्री बनेंगे? परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ भूपेश बघेल ही अपना पूरा कार्यकाल समाप्त किया। परंतु इस राजनीतिक विवाद का फायदा प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्सो ने में खूब उठाया। जनता की समस्याओं का निराकरण करने वाली फाइलें आगे नहीं बढ़ी। जहां तक सवाल था प्रदेश के नगर निगमों का वहां भी तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस का कब्जा हो गया था। केंद्रीय योजनाओं में इतना जबरदस्त भ्रष्टाचार हुआ कि आम जनता नगर निगम का रुख करना बंद कर दिए थे। हम बिलासपुर की बात करें तो प्रधानमंत्री आवास योजना के फर्जी बाड़े की शिकायतों के निराकरण के लिए बिलासपुर सिविल लाइन थाने में एक अलग से विवेचना कक्ष खोलना पड़ा था। उस समय बिलासपुर नगर निगम के एक भ्रष्ट इंजीनियर सुरेश बरुआ निगम के गुर्गों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री आवास योजना के फर्जी हैंड ओवर पत्र छपवाकर कई करोड़ रुपए कमा लिए थे। परंतु तो कुछ दलाल इस फर्जी बारे में फंसकर अभी भी जेल की हवा खा रहे हैं। तुरंत इन घोटाले केन मास्टरमाइंड सुरेश बरुआ को कुछ भी नहीं हुआ। सन 2024 में चुनाव की घोषणा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार किया गया। भाजपा पहले विधानसभा और पश्चात लोकसभा चुनाव में ऐसा प्रचार किया कि कांग्रेस पार्टी को परजय का सामना करना पड़ा। इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की पसीने बहाने वाली मेहनत थी। अभी कुछ दिन पहले ही निगम चुनाव संपन्न हुआ जिसमें कांग्रेस के सभी किले ध्वस्त हो गए। छत्तीसगढ़ की जनता पहले विधानसभा इसके पश्चात लोकसभा और अभी संपन्न हुए नगर निगम चुनाव में दिल खोलकर बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की। आम जनता को ना तो महापौर के चेहरे से मतलब था , और न ही पार्षदों के चेहरे से। उनके सामने सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी और प्रदेश के सीएम विष्णु देव साय के सुशासन की गारंटी जो की फली भूत होते दिख रही थी और फिर क्या था पूरे प्रदेश के नगर निगम में कमल खिल गया। परंतु अबकी बार शहर सरकार के कामकाजों पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर गठित हाई पावर कमेटी की जासूसी नजर महापौर सहित निगम के अन्य प्रभावशाली पदों पर बैठ रहे व्यक्तियों पर रहेगी। इस स्पेशल हाई पावर कमेटी का फोकस आम जनता से जुड़े जन उपयोगी योजनाओं और उसके इंप्लीमेंटेशन पर भी रहेगी। वैसे बिलासपुर नगर निगम में में बनने वाली शहर सरकार का आकार छोटा होगा। परंतु जनता की सेवा करने में उच्च मापदंडों को अपनाने की हिदायत अभी से दे दी गई है। एक फोन कॉल पर पार्षदों को अपने-अपने वार्डों के जनता के सामने उपस्थित होकर उनके शिकायतों का त्वरित निराकरण करना होगा। एक महत्वपूर्ण जानकारी छोटे व्यापारियों एवं रास्ते के किनारे ठेला लगाकर व्यवसाय करने वाले के लिए एक खुशखबरी भरी खबर यह है कि। निगम प्रशासन ऐसे कारोबारियो को तब तक वहां से नहीं हटाएगी जब तक की उनका वैकल्पिक व्यवस्था न हो जाए।(ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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बिलासपुर (14 मार्च 2825) [तपन गोस्वामी द्वारा] शहर सरकार की बहु प्रतीक्षित 14 सदस्य की पावरफुल कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति होली के पहले कर दी गई है। हमारे लिए या कहें शहर की जनता के लिए मेयर और काउंसिल अर्थात ( एम आई सी ) के सदस्यों की नियुक्ति विधानसभा के कैबिनेट मंत्रियों से कम नहींहै। क्योंकि नगर निगम में मेयर इन काउंसिल के सदस्यों की नियुक्ति विधानसभा के आधार पर की जाती है। यहां पर पूजा विधानी की टीम में बिलासपुर विधानसभा के 8 सदस्य, बेलतरा विधानसभा से 3 सदस्य, बिल्हा विधानसभा से दो एवं तखतपुर से एक सदस्य को शामिल किया है। इसमें सबसे अधिक बिलासपुर विधानसभा से है। इनमें सिर्फ सुनीता जगत ही एक ऐसी पार्षद है जो की पहली बार चुनकर आई है। बाकी सदस्यों में श्याम साहू पांच बार के पार्षद है जिन्हें स्वास्थ्य विभाग का प्रभार मिला है। विजय ताम्रकार तीन बार के पार्षद हैं जिन्हें विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग मिला है। बंधु मौर्य तीन बार के पार्षद हैं जिन्हें लोक कर्म ( पी डब्लू डी) विभाग मिला है। प्रकाश यादव तीन बार के पार्षद हैं जिन्हें सामान्य प्रशासन एवं विधि विधाई विभाग सोपा गया। इसी तरह मोती गंगवानी तीन बार के पार्षद है जिन्हें वित्त लेखा एवं अंकेक्षण विभाग का दायित्व दिया गया है। दिनेश देवांगन दो बार के पार्षद हैं जिन्हें समाज कल्याण विभाग की अहम जिम्मेदारी दीगई है। इसी तरह संजय यादव तीन बार के पार्षद है जिन्हें मेयर इन काउंसिल में संस्कृति, पर्यटन एवं मनोरंजन विभाग का दायित्व दिया गया है। सुनीता जगत पहली बार की पार्षद है जिन्हें अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग की अहम जिम्मेदारी दी गई है। महापौर पूजा विधानी काफी समय से सक्रिय राजनीति में है। उनके पति अशोक विधानी नगर निगम सभापति और कांग्रेस शासन काल में नेता प्रतिपक्ष थे। और श्रीमती विधानी निगम के राजनीति को बहुत ही नजदीक से देखी है। इस कारण उन्हें निगम प्रशासन को हैंडल करने में बहुत अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। जब अमर अग्रवाल कैबिनेट मंत्री थे तब बिलासपुर शहर के लिए स्वर्णिमयुग था। अरबों रुपए के बजट का पाई पाई हिसाब होता था। शहर का विकास भी हुआ परंतु इसके बाद जब कांग्रेस की सरकार आई तो पूर्व कैबिनेट मंत्री अमर अग्रवाल को पूरे 5 साल हर दूसरे माह धरना आंदोलन में बैठना पड़ा था। इसमें कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता का भी काफी सहयोग मिला था। क्योंकि आम जनता उस समय निगम प्रशासन से काफी त्रस्त थे। अब प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। केंद्र में पहले से ही बीजेपी की सरकार है। और अब नगर निगम में भी बीजेपी काबिज है इस तरह हम कह सकते हैं कि प्रदेश में अब ट्रिपल इंजन की सरकार है। बिलासपुर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के लिए लाडला एवं प्यार शहर है। प्रतिदिन वे बिलासपुर के लिए कोई ना कोई घोषणा कर ही रहे हैं। इस कारण शहर को सुंदर, व्यवस्थित करने पीने के पानी की समस्या दूर करने, गरीबों को आवास, रेडी पट्टी वालों को उनके कारोबार के लिए उचित जगह, और रोजगार के बजट में किसी भी तरह की कमी नहीं आने देंगे। परंतु सबसे पहले पूजा विधानी को निगम में काफी समय से बैठकर दीमक की तरह चट कर रहे अधिकारियों की खबर लेनी पड़ेगी। शहर में कई अरब रुपए के अवैध निर्माण बनकर निगम को ठेंगा दिख रहा है। उन पर कार्रवाई कर राजस्व वसूलने के साथ ही कई करोड़ रुपए के बकाया टैक्स वसूलने की जरूरतहै। यदि इसमें मेयर इन काउंसिल के मेंबर और पार्षद भाई भतीजे बाद और दोस्ताना ताल्लुकात बनाएंगे तो निगम की स्थिति और भी बदहाल हो जाएगी। परंतु इस मामले पर राज्य शासन काफी सख्त है। निगम में घूसखोरी, भ्रष्टाचार, टेंडर घोटाले पर भी रहेगी शासन की जासूसी नजर ।(ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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