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मगरपारा स्थित कल्याणी हॉस्पिटल का मामला : बदतमीज एवं घटिया डॉ एच के शुक्ला एवं वहां के अप्रशिक्षित कर्मचारियों ने ली नाबालिक दीपेश की जान। परिजन डॉ एच के शुक्ला को जेल भेजने हेतु कृत संकल्प : तपन गोस्वामी [एडिटर इन चीफ ]

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बिलासपुर ( 23 अक्टूबर 2022 ) [ तपन गोस्वामी जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क ] मरीजों को बात बात में मां की गाली देने वाले बदतमीज एवं घटिया मानसिकता के डॉक्टर एच के शुक्ला (एमडी मेडिसिन ) का लगता है कि अब उनका पाप का घड़ा भर चुका है। वर्तमान में डॉ एच के शुक्ला मगरपारा स्थित कल्याणी हॉस्पिटल खोलकर मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कुछ साल पहले डॉ एच के शुक्ला सिम्स में हीमोडायलिसिस इंचार्ज थे। इनके कार्यकाल में सिम्स में प्रतिदिन हो हल्ला होता रहता था। डॉ एच के शुक्ला के कारण हीमोडायलिसिस विभाग में प्रत्येक दिन पुलिस को बुलानी पढ़ती थी। परंतु सिम्स से निकलने के बाद भी डॉ एच के शुक्ला की आदत नहीं बदली। मगरपारा स्थित कल्याणी हॉस्पिटल में एक घटना घटित हुई है। जिसमें सकरी निवासी 17 वर्षीय नाबालिक दीपेश वाद्यकार पिता श्री अमरनाथ वाद्यकार को डॉ एच के शुक्ला के गलत ट्रीटमेंट का खामियाजा अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मृतक नाबालिक दीपेश वाद्यकार के पिता अमरनाथ वाद्यकार सकरी के सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। परंतु रिटायर्ड के पश्चात उनको लकवे की बीमारी हो गई और अब उनकी जिंदगी सिमट कर व्हील चेयर पर आ गई। अपनी नाबालिग पुत्र के असामयिक निधन के बाद उनकी मां श्रीमती केवरा बाई अपनी सुनी गोद लिए दर-दर भटक रही है। कई अधिकारियों को कल्याणी हॉस्पिटल के डॉ एच के शुक्ला के खिलाफ कार्यवाही करने का आवेदन दें दी। काफी दिनों तक वह भटकी परंतु अब एक सक्षम प्रशासनिक अधिकारी के इस आश्वासन के बाद कि यदि डॉ एच के शुक्ला पर लगे आरोप सिद्ध होता है तो डॉ शुक्ला को जेल जाने से कोई नहीं रोक सकता। स्थानीय मगरपारा स्थित कल्याणी हॉस्पिटल के डॉ एच के शुक्ला (एमडी मेडिसिन ) के प्रकरण में हमारे न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन टीम ने जो जानकारी एकत्र की है उसके अनुसार सकरी निवासी 17 वर्षीय नाबालिक दीपेश वाद्यकार को साधारण बुखार के कारण 23 जुलाई 2022 को मगरपारा स्थित कल्याणी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसका ओपीडी क्रमांक ssch/2307/2211 है। भर्ती होते ही डॉ शुक्ला के सलाह पर दीपेश के परिजन 80 हजार रुपए के करीब खर्च कर जांच करवा लिया। जिसमें एमआरआई स्कैन मस्तिष्क का लिया। रिपोर्ट में मस्तिष्क ज्वर अर्थात मेनिनजाइटिस पाया गया। डॉ शुक्ला द्वारा कीमती दवाई देकर इलाज शुरू किया। परंतु दीपेश के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। पुनः डॉ शुक्ला ने एडवाइज दिया की दीपेश का पुनः सीटी स्कैन करना पड़ेगा। सीटी स्कैन रिपोर्ट आई और रिपोर्ट में सब कुछ नार्मल था। परंतु डॉ एच के शुक्ला ने दीपेश के परिजनों को बताया कि दीपेश के ब्रेन में ब्लॉकेज है। परंतु रेडियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट नॉर्मल थी। दीपेश के स्वास्थ्य में सुधार न होते देख उनके परिजन उसे डिस्चार्ज करा कर किसी अन्य चिकित्सालय में इलाज कराना चाह रहे थे। इस कारण दीपेश की मां डॉ शुक्ला के चेंबर में जाकर दीपेश को डिस्चार्ज करने का अनुरोध किया। इस पर डॉ शुक्ला का अमानवीय व्यवहार एवं कुत्सित चेहरा सामने आया। और दीपेश के मां पर अप शब्दो की बौछार करते हुए कहा कि तुम लोगों के इस व्यवहार के कारण ही तुम्हारे बड़ी लड़की की मौत हो गई। इस बात की जानकारी डॉ शुक्ला को थी। और डॉ शुक्ला ने दीपेश को डिस्चार्ज करने के लिए स्पष्ट शब्दों से इनकार कर दिया। डॉ शुक्ला की घोर लापरवाही एवं चिकित्सालय में कार्यरत अप्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा की गई गलत ट्रीटमेंट के कारण ही भर्ती के मात्र 3 दिन बाद अर्थात 31 जुलाई 2022 को दीपेश की मौत हो गई। अपने नाबालिग पुत्र के सामायिक मौत से दुखी स्वर्गीय दीपेश की मां डॉ एच के शुक्ला के खिलाफ प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत दी। इस पर प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि यदि वाकई डॉ शुक्ला की चिकित्सकीय लापरवाही से नाबालिक की मौत हुई होगी तो डॉ शुक्ला को जेल जाने से कोई रोक नहीं सकता। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )

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