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मोपका सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति का प्रकरण। फर्जी संस्था फर्जी पदाधिकारी अशोक गोरख एवं संजय तिवारी को गिरफ्तार करने के लिए क्या एसडीएम को इनविटेशन देने पड़ेंगे ? दयालबंद के टूट पुंजीय गुंडे क्या समानांतर कोर्ट चला रहे हैं? तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]

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बिलासपुर (17 मार्च 2023 ) [ तपन गोस्वामी द्वारा ] कुछ माह पहले दयालबंद का एक अनपढ़ गवार टूट पूंजिया गुंडा सरकारी जमीन पर कब्जा कर एक ऑफिस बनाया था। और नाम दिया था उसकी अदालत यहां पर उस गुंडे के गुर्गे सीधे-साधे आदमियों को पकड़ कर लाते थे और उससे पैसे की मांग करते हुए कमरे में बंद करके मारा-पीटा जाता था । काफी शिकायत के बाद तोरवा थाने की पुलिस की नींद टूटी पुलिस एक्शन में आई और उस टूट पूंजिए गुंडे को जेल यात्रा करवाई। परंतु तोरवा थाने की लापरवाही से उस गुंडे की जमानत चालान पेश करने से पहले डायरी पर ही हो गई। कोर्ट से तोरवा थाने के लिए डायरी कॉल किया गया था। पुलिस को ऐसे समय में समाज के लिए घातक बन रहे उस गुंडे की जमानत को निरस्त करने के लिए उसके अपराधिक इतिहास की जानकारी डायरी में अटैच करना होता है। परंतु कोर्ट द्वारा जब गुंडे की जमानत हेतु तोरवा थाने में डायरी कॉल किया गया तो उसके परिजन तोरवा थाने डायरी में उतने वजन का नोट रख दिया। जिससे उस गुंडे की जमानत हो गई। और जेल से निकलने के बाद अभी भी उगाही, जमीन कब्जा करने का काम अनवरत चल रहा है। अब मामला दयालबंद के एक और टूट पुंजीए गुंडे अशोक गोरख की है। अशोक गोरख का सिविल स्टेटस खराब है। बहुत से बैंकों को उसने चुना लगाया है। अब उसने एक फर्जी आई डी दुर्गेश गोरख के नाम से बनाया है। और इसी नाम से बैंकों से फर्जी लोन स्वीकृत करा रहा है। ये दयालबंद का एक टूट पूंजिया गुंडा मोपका के सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति का फर्जी अध्यक्ष बन बैठा है। और इसी समिति के उपाध्यक्ष संजय तिवारी फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है। इस संस्था से प्रभावित सैकड़ों व्यक्ति कलेक्टर, कमिश्नर, एसडीएम, रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार एवम तहसीलदार से इसकी शिकायत की तो मामला पुलिस के हवाले करने के बजाए तहसीलदार अतुल वैष्णव अशोक गोरख एवं संजय तिवारी को अपने ऑफिस बुलाकर एंटरटेन करते हुए चाय कॉफी पिला रहे हैं । जब इस समिति का कोई भी वैधानिक कागजात है ही नही। इस संस्था के अध्यक्ष अशोक गोरख दयालबंद एरिया का एक टूट पुंजिया गुंडा है। और माननीय न्यायालय की अवमानना करते हुए गोरख की अदालत के नाम से एक ऑफिस खोल के रखा है। इस ऑफिस में ये एसईसीएल , सीएमपीडीआई के रिटायर्ड सीधे-साधे कर्मचारियों को बुलाकर धमकाता रहता है। और बार-बार कहता है कि हम दयालबंद के हैं वहां की हिस्ट्री सुन लेना। अशोक गोरख एवं संजय तिवारी तहसील कार्यालय से निपटने के बाद शाम को ठाट से अपने ऑफिस में बैठता है और कहता है कि यह गोरख की अदालत है यहां सिर्फ मेरा ही चलेगा। देखो हम जब तहसील ऑफिस जाते हैं तो तहसीलदार अतुल वैष्णव हमारी सेवा सत्कार करता है। कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अब आप ही बताएं कि प्रशासन को यह अच्छी तरह से मालूम है कि मोपका सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति पूरी तरह फर्जी है और यदि इनके कथित पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही नहीं होगी तो इनके खिलाफ शिकायत करने वालों का क्या हश्र होगा? यह सब जान रहे हैं। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क)

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