एनएसयूआई के स्मार्ट जासूसों ने पकड़ी महर्षि यूनिवर्सिटी मंगला की रियल फ्रॉड स्टोरी। पहले तो रजिस्ट्रार विजय गढ़ोरिक था फर्जी। अब तो दो दो लेडी सेक्रेटरी के साथ देर रात हॉटल के कमरे में रहने वाले कुलपति टी पी एस कांड्रा भी है फर्जी। इसने राजभवन के साथ की चीटिंग। एडि कलेक्टर श्री कुरुबंशी को शिकायत: तपन गोस्वामी [editor-in-chief ]
बिलासपुर (07 जुलाई 2023)[तपन गोस्वामी द्वारा ] एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया ) एक ऐसी सशक्त संस्था है जिसके पदाधिकारी एवं सदस्य हमेशा छात्र हित की बात सुनते हैं। वैसे तो एनएसयूआई कांग्रेस की स्टूडेंट विंग है। परंतु छात्र हित में आंदोलन वगैरा करने की पूरी छूट है। कांग्रेस समर्थित कॉलेजों में पाई जाने वाली अव्यवस्था को भी एनएसयूआई बखूबी से उठाती है। अब इनका टार्गेट शहर के एक कोने मंगला में स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी है। जानकारी यह आ रही है कि यहां के वर्तमान रजिस्ट्रार विजय गढ़ोरिक पहले गाड़ी खींचने वाले सीजर थे। परंतु बाद में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर इस यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार बन बैठे हैं। परंतु अब एनएसयूआई के हाई क्वालीफाईड पदाधिकारी कम स्मार्ट जासूसों ने जो इन्वेस्टिगेशन की उससे कई चौकानेवाले तथ्य बाहर निकल कर आए हैं। इसके अनुसार इस यूनिवर्सिटी के कुलपति टीपीएस कांड्रा भी फर्जी निकल गया। इन्होंने तो विजय गढ़ोरिक से भी आगे निकल कर राजभवन के साथ चीटिंग कर अपने सभी फर्जी दस्तावेज जमा कर बन गया महर्षि यूनिवर्सिटी मंगला का कुलपति। एनएसयूआई के इस टॉप क्लास इन्वेस्टिगेशन से हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य खराब होने से बच गए। परंतु इस महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े में जो छात्र फंसे उन्हें न्याय दिलाने के लिए आज एनएसयूआई के पदाधिकारी जिला अध्यक्ष रंजीत सिंह के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचकर एडिशनल कलेक्टर आर ए कुरुवंशी से मिलकर एक ज्ञापन दिया। वास्तव में वह ज्ञापन नहीं है बल्कि महर्षि यूनिवर्सिटी मंगला के फर्जीवाड़े की पूरी इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट है। जो काम आज शासन को करना चाहिए था वह काम आज एनएसयूआई ने किया। क्योंकि काफी समय से इस यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े के संबंध में शिकायत शासन के अधिकारियों के पास पहुंचती रही परंतु आज तक कार्यवाही नहीं हुई। दिए गए ज्ञापन में कुलपति कांड्रा एवं रजिस्ट्रार विजय गढ़ोरिक की फर्जी शैक्षणिक सर्टिफिकेट के संबंध में है। साथ ही नियम विरुद्ध प्राइवेट स्टडी सेंटर चलाना, छात्र-छात्राओं की फर्जी उपस्थिति बताकर शासन को भ्रमित करना, फर्जी एम ए (योगा ) की डिग्री बांटना, बिना पीजी कोर्स के फर्जी पी एच डी देना। जिस तरह से विजय गढ़ोरिक ने किया। दो दो महिला सेक्रेटरी रखकर हॉटल के कमरे में देर रात रहना। एनएसयूआई के इस कार्रवाई के बाद कुलपति कांड्रा को अब महंगा पड़ेगा। एडिशनल कलेक्टर श्री कुरूवंशी ने गंभीरता से जांच करा कर न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। (ब्यूरो रिपोर्ट जासूसी नजर न्यूज़ नेटवर्क )